हाईकोर्ट ने पुनर्विलोकन याचिका खारिज करते हुए पुनः कहा आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थी परीक्षा के प्रत्येक चरण में चयन किए जाएंगे अनारक्षित पदों के विरूद्ध
जबलपुर – मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 7 अप्रेल 2022 को इतिहासिक फैसला देकर मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 17/02/2020 को लोक सेवा परीक्षा से संवंधित बनाए गए नियमो को असंवैधानिक घोषित किया गया था तथा MPPSC 2019 की प्रारंभिक परीक्षा का घोषित रिजल्ट दिनांक 21/12/2020 को भी निरस्त कर दिया गया था । तथा हाईकोर्ट द्वारा आयोग को निर्देशित किया गया था की असंशोधित परीक्षा नियम 2015 के प्रवधान के तहत रिजल्ट जारी करे । हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से आयोग को निर्देशित किया गया था की आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा सहित प्रत्येक चरण में अनारक्षित वर्ग के पदों के विरूद्ध चयनित किया जाए । उक्त फैसले में हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट किया गया था की किसी भी सूरत में कम्युनल आरक्षण लागू नही किया जा सकता है तथा अनारक्षित पद किसी भी वर्ग जाति को आरक्षित नही किए जा सकते । उक्त पद सिर्फ प्रतिभावान अभ्यर्थीयों से ही भरे जाने का संवैधानिक प्रावधान है ।
उक्त फैसले के विरूद्ध पुनवार्विलोकन याचिकाएं दाखिल की गई थी जिसमे कहा गया था की अनारक्षित वर्ग के पदों पर सिर्फ सामान्य वर्ग के ही अभ्यर्थियों का अधिकार है उक्त पदों पर ओबीसी/एससी/एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को चयनित नही किया जा सकता है उक्त सम्वन्ध में राजस्थान हाईकोर्ट का एक फैसला भी कोर्ट को बताया गया । न्यायलय द्वारा कहा गया की इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ के मामले से बड़ा फैसला अभी तक देश में नही है तथा उक्त फैसले के प्रतिपादित सिद्धान्तों के अनुरूप ही इस न्यायलय द्वारा दिनांक 7.4.22 को निर्णय पारित किया गया है । अर्थात उक्त पुनर्बिचार याचिकाए सारहीन है जिसे निरस्त किया जाता है । यदि दिनांक 7-4-22 के फैसले को कोई प्राधिकारी गलत व्याख्या करके लागू करता है तो संवंधित पक्षकार एकल पीठ में जाने स्वंत्रत है । उक्त प्रकरण में अनावेदकों की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवम विनायक शाह ने की ।