जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

जगदीश वेयर हाउस मामले में अध्यक्ष, मालिक सहित 7 पर एफआईआर कलेक्टर के आदेश पर मझौली थाने में दर्ज हुआ प्रकरण

जबलपुर यशभारत। कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर इन्द्रना रोड मझौली स्थित जगदीश वेयर हाउस में गेहूँ उपार्जन में बरती गई अनियमितताओं और अमानक गेहूँ का भंडारण करने के मामले में खरीदी संस्था की अध्यक्ष, वेयर हाउस की मालिक, खरीदी केंद्र प्रभारी, गोदाम प्रभारी और सर्वेयर सहित सात आरोपियों के विरुद्ध मझौली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई ।

मालूम हो कि मझौली के ग्राम जमुनिया स्थित जगदीश वेयरहाउस में करीब 6 हजार क्विंटल घटिया और मिलावटी गेहूँ मिला था। यहाँ गेहूँ की 33 सौ बोरियाँ गायब भी हैं जिस पर जाँच बैठाई गई है। इस वेयरहाउस को प्रबंधक ने किराए पर दिया हुआ था जो कि नियमानुसार गलत है। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि एक ही वेयरहाउस में 2 खरीदी केन्द्र बन गए और पूरा प्रशासनिक अमला खामोशी से सब देख रहा था। एसडीएम ने जब जाँच की तो मामला उजागर हुआ। उसके पहले फूड-कंट्रोलर, सहकारिता, जेएसओ, मार्कफेड सभी के नुमाइंदे वेयरहाउस का निरीक्षण कर चुके थे।
5834 बोरी गेहूँ अमानक पाया गया था
प्राप्त जानकारी के अनुसार रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी केन्द्र जय दुर्गा स्वसहायता समूह ग्राम जमुनिया केन्द्र क्रमांक-1 केन्द्र कोड 56233267 उपार्जन स्थल जगदीश वेयरहाउस 153 में अमानक गेहूँ भण्डारित किए जाने एवं अन्य अनियमितताओं संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर उक्त खरीदी केन्द्र की जाँच हेतु जाँच दल गठित किया गया था। जिला आपूर्ति नियंत्रक ने बताया कि जाँच दल द्वारा मौके पर जाकर जाँच की गई। जाँच दल द्वारा प्रस्तुत जाँच प्रतिवेदन के अनुसार वेयरहाउस में 5834 बोरी गेहूँ अमानक पाया गया। वेयरहाउस के वास्तविक मालिक रंजीत विश्वकर्मा द्वारा वेयरहाउस को केशव राय एवं अखिलेश राय को किराए पर देना बताया गया, जो नियमानुसार सही नहीं है। उक्त वेयरहाउस में भण्डारित गेहूँ की अधिकांश बोरियों में कृषक टैग लगे नहीं पाए गए।

16 सौ क्विंटल गेहूँ कम मिला
गोदाम का भौतिक सत्यापन करने पर गोदाम में 3366 बोरियाँ, वजन 1683 क्विंटल गेहूँ स्टॉक में कम पाया गया। खरीदी केन्द्र में 1670.40 क्विंटल गेहूँ ऑनलाइन रिजेक्ट किया जाना प्रदर्शित हो रहा था, किन्तु रिजेक्ट गेहूँ को पृथक से भण्डरित किया जाना नहीं पाया गया। इस प्रकार रिजेक्ट किया गया अमानक गेहूँ को स्वीकृत गेहूँ की बोरियों के साथ रखा गया। जिससे अच्छा गेहूँ भी खराब हो सकता है और शासन को करोड़ों रुपयों का नुकसान हो सकता है।

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