अधिकारी कर रहे मामलों के निपटारे, रिकॉर्ड दुरुस्ती तेरी
महा राजस्व अभियान के तीसरे चरण में कम हो रहे लंबित मामले, आर आई पटवारी के स्तर पर नहीं हो रहे ऑनलाइन
जबलपुर, यश भारत। राजस्व प्रकरणों को कम करने को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है। जिले में कलेक्टर दीपक सक्सेना के नेतृत्व में भी यह तीसरा अभियान है। जब लंबित राजस्व प्रकरणों का निपटारा तेजी से हो रहा है, जहां लगातार लंबित प्रकरणों को कम करने को लेकर कलेक्टर एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर ज्यादा से ज्यादा पेंडेंसी कम करने की कोशिश कर रहे हैं वही दूसरी तरफ पटवारी और आर आई की हीलाहवाली के चलते आम जनता को इसका फायदा होते नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जहां बड़े प्रशासनिक अधिकारी अपने स्तर पर पेंडेंसी कम कर रहे हैं लेकिन रिकॉर्ड दुरुस्ती और खसरा ऑनलाइन करने में देरी के चलते आम जनता को इस अभियान का पूरा फायदा नहीं मिल रहा है।
नामांतरण को लेकर समस्या
भू राजस्व के मामलों में सबसे ज्यादा लंबित नामांतरण के मामले हैं जिसमें शहर की अधारताल गोरखपुर जबलपुर तहसील सबसे आगे हैं। इसके चलते महा अभियान में नामांतरण के प्रकारों का तेजी से निपटारा हो रहा है। तहसीलदार अपने स्तर पर तो नामांतरण का आदेश पारित कर देते हैं लेकिन ऑनलाइन और खसरा में चढ़ने का काम पटवारी का होता है जिसमें उतनी तेजी देखने को नहीं मिल रही है । जिसके चलते कागजों पर तो पेंडेंसी कम हो जाती है लेकिन आम जनता को बिना ऑनलाइन हुए इसका कोई फायदा नहीं मिलता और इन्हीं मामलों को लेकर कलेक्टर द्वारा पटवारीयो पर कड़ी कार्रवाई की गई थी, जिसका कुछ फायदा तो हुआ था लेकिन अभी भी पूरी तेजी के साथ काम नहीं हुआ है।
दूसरे कोर्ट में पहुंच जाते हैं मामले
पूर्व में दो राजस्व महा अभियान के दौरान जो नक्शा बटाक के प्रकरण निपटाए गए थे उसमें वहीं प्रकरण घूम कर एसडीएम और एडीएम के कोर्ट में पहुंच गए हैं। जिसका कारण था सभी को बिना सुने निर्णय दे देना, जिस कारण संबंधित पक्ष ऊपरी अदालत में आवेदन कर रहा है। मामलों के निपटारे के लिए आदेश तो दे दिए गए थे लेकिन घूम फिर कर पेंडेंसी जहां के तहा पहुंच गई। नक्शा बटवारे को लेकर तहसीलदार और एसडीएम भीतर खाने अपनी आपत्तियां तो बताते हैं लेकिन खुलकर अपनी बात रख नहीं पा रहे हैं । वहीं दूसरे जिलों में नक्शा बटाक को महा अभियान से बाहर करने को लेकर पटवारीयो ने अपनी बात सामने भी रखी थी।