चाकू , छुरी, तलवार, तमंचा नहीं अब अंडरवर्ल्ड क्रिमिनल्स का नया हथियार ‘डिजिटल अरेस्ट’
जबलपुर यश भारत


रोजाना बढ़ता जा रहा साइबर क्राइम अब पुलिस के लिए नई चुनौती बन रहा है। मासूमों को शिकार बनाने के लिए साइबर अपराधी नए नए तरीके अपना रहे हैं। ये अपराधी कभी पुलिस, कभी सीबीआई तो कभी अन्य विभागों का सहारा लेकर लोगों को अर्दब में लेते हैं। उसके बाद डरा धमकाकर लोगों की कमजोरी और डर का फ़ायदा उठा कर अपने खातों में लोगों से रकम ट्रांसफर करा लेते हैं। अक्सर डर और सामाजिक प्रतिष्ठा खोने के डर से लोग शिकायत भी नहीं करते। नतीजतन, अपराधियों को और बढ़ावा मिलता है।वर्तमान में साइबर अपराधियों के बीच लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने का चलन तेजी से बढ़ा है। डिजिटल अरेस्ट वह प्रक्रिया है जिसमें फोन करने वाला खुद को पुलिस या किसी अन्य विभाग का अधिकारी बताता है और झूठ बोलकर पीड़ित को किसी मामले में फंसाने की धमकी देता है। ऐसे में पीड़ित डर जाता है। इसी डर का फायदा उठाते हुए आरोपी लोगों से पैसे की मांग करता है और लोग बचने के लिए मुंहमांगी रकम ऑनलाइन ट्रांसफर कर देते हैं। कई बार ठगी हो जाने के बाद लोग पुलिस से शिकायत करते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में लोग प्रतिष्ठा के डर से शिकायत करने से डर जाते हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में कई बार ऐसा भी होता है जब साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर किसी की आपत्तिजनक तस्वीर तक बना लेते हैं। इन तस्वीरों को वायरल करने के नाम पर पीड़ितों को ब्लैकमेल कर उनसे ठगी को अंजाम दिया जाता है।
लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र में डॉक्टर रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने उनसे 2.81 करोड़ की ठगी को अंजाम दे दिया। बाद में एसटीएफ ने आरोपियों को गिरफ्तार कर करीब 2.50 करोड़ रुपये बरामद किए। दूसरी घटना भी लखनऊ से है यहाँ इंदिरानगर थानाक्षेत्र में ठगों ने रिटायर प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर उनके खाते में डॉलर का ट्रांसक्शन होने की बात कहते हुए 12 लाख रुपये ठग लिए। इसी तरह मेरठ में रिटायर बैंक अधिकारी से 40\लाख और नोएडा में रिटायर मेजर जनरल से चार दिनों के भीतर दो करोड़ रुपये ऐंठ लिए। इसके अलावा आगरा में साइबर अपराधियों ने शिक्षिका मालती वर्मा को फोन कर उनकी बेटी के सेक्स रैकेट में फंसने की बात कही। यह सुनकर उनको सदमा लगा और हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हो गई। ययह कॉल +92 नंबर से किया गया था।
कभी भी अंजान नंबर से वीडियो कॉल आए तो उसे रिसीव न करें साथ ही कभी भी किसी अंजान नंबर से आई लिंक पर भी क्लिक न करें। इसके अलावा यदि कभी कोई खुद को बैंक कर्मी बताकर अकाउंट डिटेल, ओटीपी या फिर पैन, आधार और एटीएम की डिटेल्स तो इन्हें कतई मोबाइल पर साझा न करें। सबसे पहले बैंक पहुंचकर इसकी पुष्टि करें। यदि कभी कोई खुद को पुलिस अधिकारी बताकर आपके बच्चों या रिश्तेदारों की गिरफ्तारी हो जाने की बात फोन पर कहे तो सबसे पहले जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने की बात बताई जा रही है उसे फोन कर पुष्टि करें। यदि फिर भी कोई संदेह नजर आए तो सम्बंधित थाने के सरकारी सीयूजी नंबर पर संपर्क कर मामले की पुष्टि कर लें। किसी भी प्रकार का कोई भी डिजिटल लेनदेन न करें