एमपीपीएससी ने जारी की आंसरशीट, संदेही सवालों को डिलीट करने में भी कमाई
यह रवैया सिलेक्शन की आस लगाए प्रतिभागियों के लिए बना परंपरा
जबलपुर, यश भारत। एमपीपीएससी ने रविवार को आयोजित हुए प्री एग्जाम की आंसरशीट जारी कर दी है। आयोग ने अपनी आंसरशीट के जरिए यह जता दिया कि है कि उसके मुताबिक परीक्षा में पूछा गया कोई भी सवाल गलत नहीं है, लेकिन ऐसे अनेक प्रतिभागी हैं जिनकी नजर 3 से 6 प्रश्न संदेह के घेरे में हैं। आयोग ने आंसरशीट के साथ जारी सूचना में लिखा है कि ऐसे प्रतिभागी जिन्हें किसी प्रश्न पर संदेह है वे 7 दिनों के भीतर शुल्क जमा कराने के उपरांत आयोग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। जानकार कह रहे हैं कि इससे भी मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग को अच्छी खासी कमाई होगी। क्योंकि एक ही प्रश्न के लिए पूरे प्रदेश ही नहीं अलबत्ता अन्य राज्यों के हजारों प्रतिभागी आपत्ति दर्ज कराते हैं।
हर बार की यही है परंपरा
पीएससी के जरिए सरकारी नौकरी पाने की चाह रखने वाले प्रतिभागियों का कहना है कि पीएससी में यह हर बार की परंपरा बन गई है। आयोग हर परीक्षा में कुछ ऐसे सवाल रख देता है जो कि पूर्णतः गलत होते हैं या फिर उनमें एक से ज्यादा ऐसे विकल्प शामिल हो जाते हैं जो कि किसी न किसी आधार पर सही होते हैं। उदाहरण के लिए साल 2017 में आयोग ने सवाल पूछा था कि जटाशंकर का मंदिर किस पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है, और ऑप्शन में महादेव की पहाड़ियां और सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखला दोनों ऑप्शन थे। प्रतिभागी इस सवाल पर इसलिए चकरा गए थे क्योंकि जटाशंकर मंदिर है तो महादेव पहाड़ियों पर लेकिन महादेव पर्वतश्रृंखला भी सतपुड़ा पर्वतश्रृंखला का हिस्सा है। इसी प्रकार पिछली पीएससी परीक्षा में भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित प्रश्न विवाद का विषय बन गया था। इस पर राजनीति भी हुई थी और मामला हाई कोर्ट में भी पहुंचा था।
आपत्तियों के बाद फैसला लेगा आयोग
एमपीपीएससी प्रतिभागियों की आपत्तियां आने के बाद संबंधित सवालों पर यह निर्णय लेगा कि वे डिलीट किए जाएंगे या नहीं। मतलब आयोग ने परीक्षा में पूछे गए सवाल सही भी हैं या नहीं, यह देखने के लिए प्रतिभागियों से शुल्क वसूलेगा। जिस पर विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने आपत्ति उठाई है। उनका मानना है कि जब आयोग ने एक मर्तबा परीक्षार्थियों से शुल्क वसूल लिया तो यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह परीक्षा में ऐसे सवाल ही न पूछे जिन पर किसी बात का संदेह हो। वहीं गलत सवाल पर पेपर सेट करने वाले अधिकारी पर भी ठोस कार्रवाई हो ताकि बार-बार एक ही प्रकार की गलती की पुनरावृत्ति न हो।
मैंने प्री एग्जाम के पेपर पर गौर किया है, प्रथम दृष्टया मुझे 5-6 सवालों पर संदेह है। आयोग को चाहिए कि वह अपनी रेपोटेशन को धूमिल होने से बचाए। बार-बार ऐसी गलतियां एमपीपीएससी की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं है।
सिद्धार्थ गौतम
बार-बार एक ही प्रकार की गलती का दोहराव दर्शाता है कि एमपीपीएससी युवाओं के प्रति गैरजिम्मेदार है। वैसे ही पीएससी की परीक्षा का मैटर बार-बार हाई कोर्ट पहुंचता है, जिससे सिलेक्शन की आस लगाए परीक्षार्थी ओवरएज हो जाते हैं। इस विषय पर आयोग को गंभीरता दिखानी चाहिए।
सुमित शर्मा