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संस्कारधानी जबलपुर के विकास को और अधिक गति प्रदान करने महापौर एवं निगमाध्यक्ष सलाहकार परिषद का होगा गठन

जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर के सर्वांगीण विकास में जनभागीदारी सुनिश्चित करने हेतु महापौर सलाहकार परिषद एवं अध्यक्ष सलाहकार परिषद का गठन – संस्कारधानी के रूप में प्रतिष्ठित जबलपुर शहर विकास के पथ पर अग्रसर है। इस विकास यात्रा में नगर निगम जबलपुर एक महात्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। शहर के विकास को और अधिक समावेशी, जन-आधारित एवं दूरदर्शी बनाने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव सलाहकार परिषद के गठन का सुझाव प्रस्तुत करता है। हमारा मानना है कि विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाकर जबलपुर को एक सुन्दर, समृद्ध और प्रगतिशील शहर के रूप में स्थापित किया जा सकता है, के संबंध में आज सदन के आसंदी से एक अति महात्वपूर्ण एवं शहर के सभी वर्गो को लाभांवित और सम्मानित करने वाला प्रस्ताव रखा, जिसपर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने सहर्ष स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि यह जनहित का प्रस्ताव सर्वसम्मति से शामिल किया जायेगा।
अध्यक्ष रिकुंज विज ने पढ़ते हुए बताया कि जबलपुर शहर में विभिन्न क्षेत्रों के ऐसे अनेक गणमान्य व्यक्ति हैं जो अपने विशिष्ट ज्ञान, अनुभव और दृष्टिकोण से शहर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। पत्रकार, साहित्यकार, वरिष्ठ राजनेता, शिक्षाविद, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, इतिहासकार एवं कलाकार जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर उनके विचारों और सुझावों को विकास योजनाओं मे ंशामिल करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। यह न केवल विकास प्रक्रिया को अधिक समग्र बनाएगा बल्की नागरिकों की आकांक्षाओं को भी बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करेगा।
इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य है कि शहर के विकास संबंधी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों में विभिन्न हितधारकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना। महापौर एवं नगर निगम अध्यक्ष को शहर के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञ सलाह प्रदान करना। विकास योजनाओं को अधिक व्यावहारिक समावेशी औद दूरदर्शी बनाना। शासन और नागरिकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना। जबलपुर को एक सुन्दर, स्वच्छ, हरित एवं विकसित शहर के रूप में स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाना।
संस्कारधानी जबलपुर साहित्य, संस्कृति और विरासत का संगम है
नर्मदा के पावन तट पर स्थित जबलपुर शहर न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्की इसका साहित्यिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी अद्वितीय है। यह नगर प्राचीन काल से ही ज्ञान, साधना और संस्कृति की भूमि रही है यहीं जवाली ऋषि की तपोभूमि रही है।
जबलपुर की गौरवशाली पहचान है
जबलपुर ने ऐसे विभूतियों को जन्म दिया है जिन्होंने देश-विदेश में इस नगर का नाम रोशन किया जैसे – आचार्य रजनीश (ओशो), महर्षि महेश योगी, हरिशंकर परसाई, डॉं. रामेश्वर शुक्ल (अंचल), प्रेमनाथ अनेकों नाम हैं। इन सभी महापुरूषों की कृतियों और विचारों ने जबलपुर को साहित्यिक और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित किया है। ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण आवश्यक जबलपुर की प्राचीन इमारतें, कुएॅं, बावड़ियॉं, और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थल हमारी ऐतिहासिक विरासत है। इनका संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है। इन स्थलों का पुनरूद्धार न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्की नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से भी परिचित कराएगा।
दिवंगत साहित्यकारों और पत्रकारों को श्रद्धांजलि
नगर में ऐसे उद्यान या स्मृति स्थल विकसित किए जाएॅं जहॉं दिवंगत साहित्यकारों, पत्रकारों की प्रतिमाएॅं उनके जीवन-वृत्त के साथ स्थापित हों। इससे उनकी स्मृति चिरस्थायी होगी और समाज को प्रेरणा भी मिलेगी।
जबलपुर की पत्रकारिता का योगदान
दादा माखन लाल चतुर्वेदी से लेकर वर्तमान तक अनेक पत्रकारों ने जबलपुर की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कर्मवीर, लोकमत श्री शारदा, जबलपुर समाचार, जयहिंद जैसे पत्र-पत्रिकाएॅं इसका प्रमाण हैं। वर्तमान पत्रकारों के लिए विशेष सहयोग योजना प्रिंट, इलेक्टा्रानिक और डिजिटल मीडिया में कार्यरत पत्रकारों को नगर निगम द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए। लद्यु समाचार पत्र, साप्ताहिक, मासिक पत्रिकाएॅं लोकल टीवी चैनल और न्यूज पोर्टल को लोकप्रियता और जनहित के आधार पर विज्ञापन एवं आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। जो पत्रकार, साहित्यकार, कलाकार आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए सम्मान निधि की व्यवस्था की जानी चाहिए।
सम्मान योजना एवं नामकरण सुझाव दिवंगत साहित्यकारों के नाम पर नगर निगम सम्मान योजना
पं. कुंज बिहारी पाठक, श्री मदन लाल महेश्वरी, पं. हरिकृष्ण त्रिपाठी, निर्मल नारद, डॉं. राजकुमार तिवारी सुमित्र, श्री अजीत वर्मा, इनके नाम पर साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में नगर निगम पुरस्कार दिए जाएॅं।
महापौर स्मृति पुरस्कार योजना
पूर्व दिवंगत महापौरों के नाम पर ‘‘सर्वश्रेष्ठ पार्षद’’ एवं ‘‘सर्वश्रेष्ठ वार्ड’’ चयन का सुझाव भी जन सेवा को प्रोत्साहित करेगा, संभावित नाम डॉं. सत्यचरण बराट, रामेश्वर प्रसाद ‘‘गुरू’’, पं. भवानी प्रसाद तिवारी, दादा बाबूराव जी परांजपे,
लोकतंत्र के स्तंभ सम्मान योजना
एक समग्र पुरस्कार ‘‘राजनीति की पाठशाला’’ के रूप में दाद ईश्वदास रोहाणी के नाम पर स्थापित किया जाए, जो लोकतंत्र के मूल्यों को पुष्ट करेगा।
धार्मिक स्थलों की स्वच्दता और संरक्षण
जबलपुर के प्राचीन मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों की स्वच्छता एवं सौंदर्यीकरण में नगर निगम द्वारा योगदान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष :-
यदि उपरोक्त सभी सुझावों को क्रियान्वित किया जाए, तो संस्कारधानी जबलपुर न केवल मध्यप्रदेश, बल्की पूरे देश में एक मॉडल सांस्कृतिक नगर के रूप में अपनी पहचान बनाएगी।