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जबलपुर में नियमों को ताक पर रखकर हो रही मैपिंग : धान उपार्जन केंद्र निर्धारण में चल रही मनमर्जी

जबलपुर ,यश भारत। सोमवार से जिले में समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन प्रारंभ होना था। लेकिन उपार्जन प्रारंभ होना तो दूर की बात अभी तक जिन केंद्रों में धान का उपार्जन होना है वह भी पूरी तरह से निर्धारित नहीं हो पाए हैं। इस पूरे मामले में जमकर अधिकारियों की मनमर्जी सामने आ रही है। जो नियमों को ताक पर रखकर मनपसंद जगहों पर मनपसंद लोगों को खुश करने के लिए धान के उपार्जन केंद्र खोल रहे हैं । जबकि इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा स्पष्ट दिशानर्देश जारी किए गए हैं । लेकिन उसके बाद भी नियमों का मखौल उड़ाया जा रहा है । जिस वजह से अभी तक उपार्जन केंद्रों का निर्धारण नहीं हो सका है।

यह है मामला
प्रदेश सरकार द्वारा किसानों से सुविधा पूर्ण तरीके से धान के उपार्जन के लिए व्यवस्था तय की गई है। जिसमें गोदाम स्तर पर उपार्जन केंद्र बनाए जाने की व्यवस्था है। जिसके माध्यम से किसान अपनी उपज आसानी से बेच सकें और उसे जल्द से जल्द उसे भुगतान प्राप्त हो सके। जिसके लिए सरकार द्वारा वकायद एक पत्र जारी कर नियम भी तैयार किए गए हैं, कि किस आधार पर गोदामों का चयन किया जाएगा और इन सुविधाओं के आधार पर वहां पर केंद्र स्थापित किया जाएगा। लेकिन अधिकारी अपने करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को धता बताते हुए मैपिंग कर रहे हैं। जिसके चलते उपार्जन प्रारंभ करने की तारीख बीत जाने के बाद भी मैपिंग पूरी नहीं हो पा रही है।

यह है नियम

प्रदेश सरकार द्वारा मैपिंग के लिए उन गोदामों को प्राथमिकता देने को कहा गया है जो सहकारी समितियों के पास है। जिनमें उपार्जन के लिए उपयुक्त स्थान हो साथ ही वेब्रिज व ग्रेडर की व्यवस्था हो । इसके अलावा जहां राइस मिल स्थापित हो साथ ही साथ राइस मिल से दूरी न्यूनतम हो । इसके साथ ही पुरानी गोदाम व पीएमएस सिस्टम में ऑफर की गई गोदामों को प्राथमिकता की बात कही गई है । लेकिन इन सभी क्राइटेरिया को धता बताकर मनमर्जी से गोदाम में केंद्र खोलें जा रहे हैं।

यहां हो रहा गड़बड़झाला
इस पूरे मामले में जिले में दो दर्जन से ज्यादा ऐसी गोदाम में है जो कि नई बनकर तैयार हुई है और उन्हें प्राथमिकता सूची में सबसे पीछे रखा गया है। लेकिन उसके बाद भी अधिकारियों की मेहरबानी से लगभग 10 नई गोदाम मैं केंद्र स्थापित कर दिए गए हैं। वहीं कुछ स्थानों पर एक ही गांव में 3 या 3 से अधिक केंद्र स्थापित कर दिए गए है। जबकि आसपास के क्षेत्रों में और भी उपयुक्त गोदाम थी जहां केंद्र स्थापित हो सकते थे जिससे किसानों को सुविधा होती ।

तीन से चार केंद्र तक स्थापित कर दिए गए

इसके अलावा जिनके पास ना तो कांटे की व्यवस्था है ना ही ग्रेडर की व्यवस्था है उन्हें केंद्र बना दिया गया जबकि उनके अगल-बगल में ही यह सुविधाएं रखने वाली गोदामें उपलब्ध थी। कुछ ऐसी गोदामों को केंद्र नहीं बनाया गया है जिनके परिसर में राइस मिल स्थापित थी या फिर 500 से 1000 मीटर की दूरी पर राइस मिल संचालित हो रही थी। इस पूरे मामले में एक बात यह भी बड़ी दिलचस्प है कि कुछ लोगों की गोदामों में तीन से चार केंद्र तक स्थापित कर दिए गए हैं।

जबकि पास में ही और दूसरे लोगों की गोदाम मौजूद है। कुछ व्यक्तियों व उनके परिवार की गोदाम जिले में अलग-अलग जगहों पर हैं लेकिन उनके रसूख के चलते सभी जगह केंद्र बनाए गए हैं। इसके साथ ही बहुत सारे केंद्र उनको दामों में दे दिए गए हैं जो एमपीडब्ल्यूएलसी और सेवा सहकारी समितियों के कर्मचारियों या उनके परिवार वालों की है। ऐसे में इस पूरे मामले में गंभीर भ्रष्टाचार होने की बात कही जा रही है।

सरकार द्वारा उपार्जन के लिए पीएमएस एजेंसी का निर्धारण किया गया है और जिन गोदाम संचालकों द्वारा पीएमएस के माध्यम से भंडारण करने हेतु ऑफर डाले गए हैं उन्हें प्राथमिकता की बात भी कही गई है लेकिन मैपिंग में कुछ ऐसी गोदामों को भी शामिल कर लिया गया है । जिन्होंने पीएमएस के तहत ऑफर नहीं डाले थे जिस कारण नियम अनुसार उन्हें प्राथमिकता में नहीं रखा जाना चाहिए था ।

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