मां नर्मदामयी हुई संस्कारधानी सुबह से नर्मदा तटों पर लगा भक्तों का तांता
जगह जगह सजे पंडाल, मां नर्मदा का पूजन


नर्मदा जन्मोत्सव प्राकट्योत्सव को लेकर आज शनिवार को ग्वारीघाट से लेकर तिलवारा और ग्रामीण क्षेत्रों के नर्मदा तटों पर भक्तों का तांता लगा रहा सुबह स्नान करने वाले और पूजन पाठ करने वाले भक्त तटों पर पहुंचे और मां नर्मदा का आव्हान किया शहर की बात करें तो पूरी संस्कारधानी मां नर्मदा की भक्ति में डूबी नजर आ रही है। धार्मिक आयोजन से लेकर भंडारों के लिये जगह जगह पंडाल सज गये हैं वहीं कुछ स्थानों पर मां नर्मदा की प्रतिमा स्थापित कर पूजन अर्चन का दौर भी शुरू है मां नर्मदा की भक्ति में हर वर्ग शामिल है इधर श्रद्वालुओं को मां नर्मदा के तट पर पहुंचने में किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो उसकी पूरी व्यवस्था जिला प्रशासन ने की हुई कौन सा वाहन किस रूट से आयेगा और जायेगा। इसको लेकर यातायात पुलिस ने रूट तैयार किया है इसी के तहत सुबह से नर्मदा तटों के बाहर पुलिस तैनात थी दूसरी ओर मां नर्मदा की भक्ति में युवा वर्ग ने बढचढकर हिस्सा लिया पूजन अर्चन कर अपने अंदाज में सैल्फी और रील बनाकर स्टेटस अपडेट भक्तिभाव को व्यक्त किया । एक वर्ग ऐसा भी था जो नर्मदा तटों पर धार्मिक कार्यक्रमों का विशेष आयोजन किया और प्रसाद वितरण किया।उपनगरीय क्षेत्र जैसे अधारताल गढ़ा रांझी सहित अन्य क्षेत्र मां नर्मदा की भक्ति में डूब चुके हैं सुबह से इन क्षेत्रों में सामाजिक और धार्मिक संस्थायें और राजनीति से जुडे लोगों ने बैनर पोस्टर लगाकर भक्तिभाव प्रदर्शित किया।
संस्कारधानी में आज मक्रवाहिनी मां रेवा के प्राकट्योत्सव को लेकर लोगों में अपूर्व उत्साह है। गौरीघाट समेत सेभी तट दुल्हन के भांती नजर आ रहे हैं। जीवनदायिनी माँ नर्मदा के प्राकट्योत्सव पर आज संस्कारधानी प्रात: से हीभक्ति में लीन रही। शहर के ग्वारीघाट सहित सभी प्रमुख घाटों पर आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है। शहर में 50 से ज्यादा प्रतिमाएं मां नर्मदा की स्थापित हैं। शहर में जगह-जगह धार्मिक आयोजन व भंडारे आयोजित किए जा रहे हैं। नर्मदा तटों पर भी ब्रह्म मुहूर्त से धार्मिक आयोजन शुरू हो गए थे जो देर रात तक चलेंगे। श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी संख्या में हवन-पूजन, भजन-कीर्तन व भंडारे सहित अन्य धार्मिक आयोजन किए गए । प्रति वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को माता नर्मदा को प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन माता नर्मदा का जन्म हुआ था. माता नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है. जबलपुरवासी ही नहीं बल्कि जहां जहां से मां नर्मदा गुजरती हैं वहां नर्मदा को गंगा के समान पूजा जाता है। जबलपुर नगर में आज प्रात:काल से ही से ही नर्मदा प्राकट्योत्सव पर धार्मिक आयोजनों की धूम रही । मुख्य कार्यक्रम उमाघाट में आयोजित किया गया । यहां साधू संतो की अगुवाई में नर्मदा जी का विधिविधान से पूजन किया
जिले में ‘हर-हर नर्मदेÓ की अनुगूंज सुनाई दे रही है। राजनैतिक-सामाजिक, शैक्षणिक-धार्मिक संस्थाओं में सामूहिक सहभागिता ने आयोजन को ‘जन-महोत्सवÓ का स्वरूप दे दिया। पूरे अंचल में एक तरह से ‘रिलीजियस टूरिज्मÓ का नजारा देखा जा रहा है।
जगह-जगह भंडारों का दौर-
नर्मदा जयंती पर जगह-जगह भंडारों का दौर जारी है। इसकी तैयारियां कल रात से ही शुरू हो गईं थीं। शहर में होने वाले कई भंडारे ऐसे हैं जिनका इंतजार श्रद्धालुओं को साल भर से होता है। ग्वारीघाट, मिलौनीगंज, सुपर बाजार, रानीताल, दमोहनाका, पारिजात बिल्डिंग के पास होने वाले भंडारों की तैयारी दो दिन से की जा रही है। गौरीघाट में आज करीब दो लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।नवयुवक मित्र मंडल के द्वारा प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी मां नर्मदा की मूर्ति स्थापित की गईऔर भंडारा प्रसाद वितरण किया गया। मित्र मंडल के सदस्य सुरेन्द्र सिंह चौहान , पार्षद प्रमोद पटेल, सुरेन्द कोष्टा, धीरज चौहान ,सौरभ कनोजिया शामिल हैं।