सत्यनारायण मंदिर में 1952 से मनाई जा रही जन्माष्टमी
105 वर्ष पहले केदारमल बजाज ने पोते के जन्म पर की थी श्रीकृष्ण के मंदिर की स्थापना
कटनी, यशभारत। शहर में भगवान श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर भी है, जिसकी स्थापना एक सदी पहले यानि करीब 100 साल पहले की गई थी। शहर के प्रतिष्ठित बजाज परिावर द्वारा स्थापित सत्यनारायण मंदिर में 105 सालों से जन्माष्टमी का पर्व अपार उत्साह, उमंग एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस आयोजन में पूरा बजाज परिवार कई दिनों पहले से तैयारियों में जुट जाता है। जन्माष्टमी के मौके पर आयोजित इस धार्मिक आयोजन में पूरा शहर उमड़ता है और भगवान के दर्शन करते हुए मेले का जमकर आनंद उठाता है। इस बार आज 6 सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आयोजन की समस्त तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। मेले में हजारों लोग पहुंचकर पुण्यलाभ अर्जित करेंगे।
नौका बिहार करते नजर आएंगे नटखट कन्हैया
श्री सत्यनारायण ट्रस्ट कमेटी द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर जीवंत झांकियों की मनमोहक प्रस्तुति की जाएगी। इस वर्ष दुर्लभ संयोग हैं कि आज 6 सितम्बर को कृष्णपक्ष रोहणी नक्षत्र दिन बुधवार 813 वर्षों के बाद आया हैं। भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य महोत्सव 6 सितम्बर की मध्यरात्रि 12 बजे धूमधाम से मनाया जाएगा। श्री सत्यनारायण मंदिर ट्रस्ट कमेटी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियों पिछले कई दिनों से की जा रही थी। भगवान श्रीकृष्ण मंदिर में चांदी के झूले में लड्डू गोपाल का आकर्षक झूला तैयार किया गया है। कोलकता के कलाकारों द्वारा मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा हैं। भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न स्वरूपों वाली झांकियों का आकर्षक प्रदर्शन किया जाएगा। कोलकता के कलाकार तपन पाल बाबू, दास बाबू व इनके परिवार के सदस्यों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला, माखन चोरी, चीरहरण गोपियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण के झूले का दृश्य, कालिया दहन, शेषनाग पर भगवान श्रीकृष्ण, नौका बिहार, गजेन्द्र मोक्ष, झूला बिहार, कृष्ण सुदामा मिलाप, ब्रम्हांड दर्शन सहित बच्चों की मनमोहक झांकियों को बेहद खूबसूरती के साथ तैयार किया गया हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर सत्यनारायण मंदिर परिसर में मेले का भी आयोजन किया गया है। यहां शाम 6 बजे से झांकी दर्शन एवं रात्रि 12 बजे नटखट कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसके उपरांत प्रसाद वितरित किया जाएगा। पुलिस प्रशासन, नगर निगम द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
बजाज परिवार की आस्था का केन्द्र
स्व भगवती बजाज के चाचा डुगरसी दास बजाज, स्व दुर्गा प्रसाद बजाज एवं भाई स्व. रामअवतार बजाज, स्व रतनलाल बजाज, स्व पन्ना लाल बजाज के पुत्र व पौत्र द्वारा भगवान श्री सत्यनारायण मंदिर के धार्मिक आयोजनों की परंपरा को पूरी आस्था के साथ निर्वहन किया जा रहा हैं। स्व केदानमल बजाज के पुत्र सावंतराम शुभकरण पुत्र शुभकरण बजाज, भगवती प्रसाद बजाज, हरीश बजाज, विजय बजाज, अजय बजाज, दुर्गाप्रसाद बजाज के पुत्र प्रहलाद बजाज, प्रवीण बजाज, स्व डुगरसी दास के पुत्र स्व सत्यनारायण बजाज के पुत्र प्रवीण बजाज, पन्ना लाल बजाज के पुत्र मोती बजाज व बजाज परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा भगवान के धार्मिक आयोजनों में अपार श्रद्धा के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने के प्रयास किये जाते है। सत्यनारायण मंदिर मेंं छोटेलाल, दशरथ, फुल्ली, बल्लू अथक परिश्रम से अपना अमूल्य सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
1972 में किया मंदिर का जीर्णोद्धार
शहर के प्रसिद्व श्री सत्यनारायण मंदिर का निर्माण संवत 1975 में किया गया था। करीब 105 वर्ष पूर्व केदारमल बजाज द्वारा अपने पोते शुभकरण के जन्म के उपलक्ष्य में पहले बालक के जन्मोत्सव की खुशी में श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर की स्थापना की गई थी। मंदिर में भगवान विष्णु लक्ष्मी जी की दिव्य प्रतिमा, हनुमान जी की मूर्ति, तालाब में भगवान भोलेनाथ की मूर्ति विधि-विधान से स्थापित की गई तथा कुंआ बावड़ी मंदिर का निर्माण कराया गया। बुर्जुगों की आस्था को बजाज परिवार द्वारा आज भी वही आस्था और परंपरागत तरीके से से पांचवी पीढ़ी द्वारा संचालन किया जा रहा हैं। 1972 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर कायाकल्प किया गया। मंदिर के साथ तालाब और चबूतरे का निर्माण कराया गया। 1952 से स्व. भगवती बजाज व बजाज परिवार द्वारा तीन मुख्य धार्मिक आयोजनों की परंपरा का शुभारंभ किया गया, जिसमें जन्माष्टमी, शरद पूर्णिमा, अन्नकूट को बड़ा स्वरूप दिया गया। यहां पहले दो दिनों तक झांकियों का प्रदर्शन किया जाता था। वर्षों पूर्व पर्यटक भी सत्यनारायण मंदिर में दर्शन के लिए आते थे। ब्राम्हण बालकों के लिये संस्कृत पाठशाला का संचालन किया जाता था। स्व. दयाराम शास्त्री द्वारा इसी पाठशाला से अध्ययन किया गया।