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JABALPUR NEWS:- भाजपा के 10 प्रतिशत बढ़े वोट बैंक ने बनाया 7/1 का आंकड़ा

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जबलपुर यश भारत। विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम रविवार को सामने आ गए। जहां भारतीय जनता पार्टी जिले की 8 सीटों में से 7 सीटों पर विजय रही। वहीं कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा। भाजपा की यह जीत अप्रत्याशित थी जिस ने सभी पूर्वानुमानों को दरकिनार करते हुए चौंकाने वाले परिणाम दिए हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस तरह के जनादेश को लेकर पहले से ही कह रही थी। लेकिन मतदाताओं की खामोशी ने परिणामों को लेकर संशय की स्थिति निर्मित करके रखी हुई थी। यदि आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो सबसे अधिक मतों से जीतने वाले प्रत्याशी संतोष वरकरे हैं। लेकिन अलग-अलग विधानसभाओं में मतदाताओं की संख्या के आधार पर प्रतिशत निकाला जाए तो कैंट से अशोक रोहाणी को 60.22त्न वोट मिले हैं, जो सबसे बड़ी जीत कही जाएगी वही सबसे करारी हार सिहोरा से कांग्रेस की एकता ठाकुर की रही है। जिन्हें कुल 33.05 प्रतिशत ही वोट हासिल हो सके।

भारतीय जनता पार्टी को जो जिले की सात विधानसभा सीटों पर प्रचंड बहुमत मिला है इसका कारण है भाजपा के पक्ष में बढ़ा हुआ मत प्रतिशत एक ओर जहां 2018 की विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिले में 45.45त्न वोट मिले थे वही इस बार भाजपा 54.97त्नवोट लेने में कामयाब रही। जो पिछले चुनाव की तुलना में 9.52त्न अधिक है। जिसके चलते भाजपा अपनी तीन सीट बढ़ाने में कामयाब रही। वहीं कांग्रेस की बात करें तो पिछले चुनाव में 40.58त्न वोट मिले थे। इस बार भी 40.5त्न वोट मिले हैं जो आधे प्रतिशत से भी कम का अंतर है। लेकिन भाजपा के बढ़े हुए वोटबैंक ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। यदि 2023 के परिणाम के आंकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण करें तो इस बार भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस से 14.83त्न अधिक वोट मिले हैं। वहीं 2018 में भाजपा को मात्र 4.57त्न अधिक वोट कांग्रेस से मिले थे। जिसके चलते मुकाबला बराबरी का रहा । लेकिन जो वोट प्रतिशत बढ़ा हुआ है वह पूरी तरह से भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जो कुल मतदान का प्रतिशत बढ़ा हुआ था उसका पूरा का पूरा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला है ना कि किसी भी तरह की कोई सत्ता विरोधी लहर थी।

पश्चिम विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से सबसे ज्यादा मजबूत सीट मानी जाती थी। जिसका कारण था भाजपा के निष्ठावान कार्य करता और मजबूत संगठन जिसका फायदा इस के विधानसभा चुनाव में राकेश सिंह को भरपूर मिला और वह उन्हें मिले हुए मध्य प्रतिशत में भी साफ दिखाई दे रहा है । राकेश सिंह का बड़ा नाम बिखरे हुए कार्यकर्ताओं को समेटने में कामयाब रहा और कमजोर मानी जाने वाली इस सीट पर एक धमाकेदार जीत दर्ज की है। आंकड़ों के नजरिये से देखें तो भाजपा प्रत्याशी सांसद राकेश सिंह को यहां से 58.32त्न वोट मिले हैं वही कांग्रेस प्रत्याशी तरुण भनोत को 40.06त्न वोट ही मिले हैं ,जो बड़ी जीत का कारण है। वही 2018 में कांग्रेस को 53त्न तो भाजपा को 41त्न वोट मिले थे।

जिले की 8 में से सिर्फ एक सीट पूर्व विधानसभा पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। जहां लखन तीसरी बार और 2018 से दूसरी बार विधायक बने हैं एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में भाजपा का माहौल था वही पूर्व में उन्होंने लगभग 27 हज़ार वोट की जीत हासिल की है। हालांकि पिछले साल के मत प्रतिशत से तुलना की जाए तो उन्हें इस बार लगभग दो प्रतिशत मत कम मिले हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी बस हार का अंतर कम कर पाए। जहां उन्हें 2018 में 35.11त्न वोट मिले थे वही इस बार उन्हें थोड़े से ज्यादा 39.62त्न थी वोट मिले। भाजपा को इस बात का अंदाजा पहले से था कि पूर्व की सीट उसके लिए कठिन है इसके चलते भाजपा ने चुनावों से 100 दिन पहले ही प्रत्याशी की घोषणा कर दी थी। लेकिन भाजपा को परिणामों में इसका कोई भी फायदा नहीं मिल।

पश्चिम की तरह उत्तर मध्य विधानसभा सीट भी भाजपा की मजबूत संगठन वाली सीट मानी जाती है। पिछले चुनाव में घरेलू कलह के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार एक जुटता के चलते भाजपा यहां से बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। जिसे इन आकड़ो से समझा जा सकता है कि 2018 में भाजपा को यहां से लगभग 35त्न वोट मिले थे वहीं कांग्रेस को भी 35त्न वोट मिले थे और निर्दलीय धीरज पटेरिया लगभग 21त्न वोट लेने में कामयाब रहे । लेकिन इस बार भाजपा को 56त्न से अधिक वोट मिले हैं । पिछली बार भाजपा और धीरज पटेरिया के वोट प्रतिशत को मिलाकर इस आंकड़े पर पहुंचते हैं । यही भाजपा की जीत का प्रमुख कारण रहा है। इस बार उत्तरमध्य विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय संगठन की भी नजर थी। जिसके चलते भीतरघात नहीं हो सका।
कैंट विधानसभा सीट इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए सुरक्षित मानी जा रही थी और वहां से परिणाम भी कुछ इस तरह का रहा जो पूर्व अपेक्षित था। सबसे बड़ी बात यह रही कि यहां से भाजपा प्रत्याशी अशोक रोहाणी को 60.22त्न वोट मिले जो प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो जिले की सबसे बड़ी जीत है। वही कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार की तरह इस बार भी लगभग 36त्न वोट के आसपास रहा । भाजपा ने अपने मत प्रतिशत में लगभग 4त्न का इजाफा किया है। कैंट विधानसभा को लेकर भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से मजबूत रही है। खासतौर पर रोहाणी परिवार का यहां पर मतबूत दखल रहा है। जिसके चलते भाजपा लगातार मतबूत होती जा रही है। वहीं भाजपा की मजबूत स्थिति के साथ-साथ कांग्रेस की आपसी गुटबाजी हार का कारण बनती है। जो इस बार भी परिणामों में स्पष्ट दिख रहा है।

पाटन से जीते अजय विश्नोई वर्तमान में जिले के सबसे अनुभवी भाजपा नेता हैं और उनका इलेक्शन मैनेजमेंट सबसे तगड़ा माना जाता है। जिसका असर पाटन के परिणामों में भी दिख रहा है। कड़े मुकाबले वाली बताई जा रही सीट को उन्होंने एक तरफा परिणाम में बदल दिया। 5 साल विधायक रहने के बाद भी उन्होंने 2018 और 2023 के मत प्रतिशत में कोई अंतर नहीं आने दिया। एक ओर जहां नीलेश अवस्थी पिछली बार भी 40त्न वोट के आसपास सिमटे रहे वही अजय बिश्नोई इस बार भी अपना 54त्न का वोट बैंक बचाए रखने में कामयाब रहे। अजय विश्राई को लेकर अंधरूनी विरोध की बात कहीं जा रही थी। वहीं नीलेश अवस्थी के बारे में जातिगत समीकरणों को मतबूत बताया जा रहा था। लेकिन दोनों आंकलन पूरी तरह से गलत साबित हुए।

बरगी में भाजपा और कांग्रेस के कड़े मुकाबले को लेकर बातें तो पहले से हो रही थी लेकिन भाजपा इतनी बड़ी जीत दर्ज करेगी यह किसी ने भी नहीं सोचा था । पिछले चुनाव में जहां भाजपा को 40त्न मत मिले थे वहीं इस बार भाजपा लगभग 56त्न वोट लेने में कामयाब रही। जो पिछली बार से 16त्न अधिक है। वहीं कांग्रेस का मत प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में 15त्न घटा है जो कांग्रेस की बड़ी हार का कारण रहा। भाजपा द्वारा चुनावों के 100 दिन पहले नीरज सिंह को टिकट घोषित कर दी थी। जिसका फायदा नीरज सिंह को मिला। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि नीरज सिंह ने अपना गढ़ बेलखेड़ा को मतबूत किया ही साथ में चरगवां और बरगी क्षेत्र में संजय यादव की जमकर वोट काटी।
पनागर विधानसभा सीट को लेकर बार-बार भाजपा में अंदरुनी विरोध की बात कही जा रही थी। लेकिन संगठन की समझ रखने वाले लोग पहले से इस तरह के परिणाम की बात कह रहे थे। यहां भाजपा ने पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 12त्न अधिक वोट प्राप्त किया है। 2018 में भाजपा को यहां पर 40.41त्न वोट प्राप्त हुए थे वहीं इस बार 57.83त्न वोट प्राप्त हुई है। वही कांग्रेस को 38.5त्न वोट ही मिल सकी जो उसकी बड़ी हार का कारण बनी हुई है। हालांकि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 22त्न वोट मिले थे।

परिसीमन के बाद से यह सीट भाजपा के पास लगातार बनी हुई है और हर चुनाव के बाद भाजपा यहां मतबूत होकर सामने आती है।
सिहोरा विधानसभा सीट के परिणाम चौकाने वाले रहे हैं। जहां भाजपा ने अपनेविधायक भी टिकट काटकर एक नए चेहरे को मैदान में उतारा था। जिसका फायदा भाजपा को मिला आंकड़ों के हिसाब से देखें तो यहां भाजपा को ५७त्न वोट मिले वहीं कांग्रेस को ३३त्न वोट ही मिले वहीं पिछले चुनावों में यह आंकड़ा ४५त्न और ४१त्न का रहा। भाजपा को १२त्न अधिक मिले वोट संतोष बरकड़े की प्रचड़ जीत का कारण बना। वहीं कांग्रेस द्वारा युवा चेहरे का प्रयोग भाजपा के लिए कहीं ज्यादा फायदेमंद रहा।

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