JABALPUR NEWS- नेताजी सुभाषचंद्र कॉलेज में निगम कर्मियों से मारपीट मामला: डीन छात्रों से बोली हाथ जोड़कर निगम कर्मियों से माफी मांगी है, मुझे मारना है तो मार लो… देखें… पूरा.. वीडियो..

जबलपुर, यशभारत। नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल हॉस्टल क्रमांक एक में नगर निगम स्वास्थ्य कर्मचारी और जूनियर डॉक्टरों के बीच हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया है। निगम कर्मियों की शिकायत पर गढ़ा पुलिस ने मामला कायम कर कुछ जूनियर डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। जूनियर डॉक्टरों पर हुई कार्रवाई से नाराज जूडा एसोसिएशन ने बुधवार को डीन कार्यालय का घेराव कर विरोध जताया। जूडा ने डीन को ज्ञापन सौंपकर पूछा कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर छात्रों को गिरफ्तार किया उस वक्त प्रबंधन चुप क्यों था। छात्रों के साथ गलत हुआ और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन उनका साथ नहीं दे रहा है। इधर डीन डॉक्टर गीता गुईन ने कहा कि सभी छात्र बच्चे है उनसे गलती हुई है, एक मां होने के नाते में क्षमा मांग सकती हूं और कुछ नहीं है।
डीन ने छात्रों के पक्ष में क्या कहा यहां पढ़े…
मेडिकल डीन डॉक्टर गीता गुईन ने इस मामले में कहा कि ऑन ड्यूटी किसी कर्मचारी से मारपीट करना गलत है। लेकिन एक ओर मेडिकल छात्र अभी बच्चे है उनसे गलती हो गई है वे समझ नहीं पाए कि ऑन ड्यूटी होने पर किसी के साथ मारपीट करना गलत है एक मां होने के नाते मैं क्षमा मांग सकती हूं।
डीन बोली मारना है तो मार लो, छात्र हंसने लगे
डीन कार्यालय में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान डीन उस वक्त नाराज हो गई है जब जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि छात्रों को बचाने के लिए डीन ने कुछ नहीं किया। डीन छात्रों से हाथ जोड़कर कहने लगी कि उन्होंने निगम कर्मचारियों के सामने हाथ जोड़े हैं, उन्हें मनाया है। इस दौरान डीन ने कहा यहां विरोध कर रहे हैं तो मुझे मारना है तो मार लो…।
डीन नहीं सुनी, हड़ताल में जाएंगे
जूनियर डॉक्टरों ने 10 सूत्रीय ज्ञापन सौंपकर डीन से दो टूक कहा कि आपने हमारी मांगों को पूरा नहीं किया है। छात्रों के साथ न्याय नहीं होगा तो मजबूरीवश छात्र हड़ताल पर जाएंगे।
क्या है मामला जानें
16 जुलाई को नगर निगम स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी दवा का छिड़काव करने हॉस्टल नंबर एक पहुंचे थे जहां पर मेडिकल जूनियर डॉक्टरों ने उनके साथ मारपीट की।
- जूडा ने इन मांगों को लेकर डीन को सौंपा ज्ञापन
-कॉलेज प्रबंधन द्वारा मेडिकल स्टूडेंट्स का पक्ष क्यों नहीं सुना गया , बिना पक्ष सुने उन्हें ही क्यों दोषी ठहराया गया।
-पुलिस द्वारा मेडिकल स्टूडेंट की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इस समय कॉलेज प्रबंधन मौन क्यंू था पूछताछ के बहाने बुलाकर छात्रों को धोखे से गिरप्तार किया गया। एवं पुलिस द्वारा बलपूर्वक उनसे अरेस्ट मेमो पर दस्तखत करवाये गए।इस पर आप क्या करेंगे।
-4 जूनियर डॉक्टर के साथ पुलिस स्टेशन में बिना गुनाह बिना सबूत सिद्ध हुए ही उन्हें आरोपी बनाकर पूरी रात जेल में रखा गया कॉलेज प्रबंधन मौन क्यों था।
– इस विषय की जानकारी कालेज के डीन सुपरिटेंडेंट और वॉर्डन को भलीभाँति थी , इसके पश्चात भी इनके द्वारा कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई।
-हॉस्टल के छात्र को की कॉलेज की जिम्मेदारी है जेल से वापिस आए या नहीं आए कालेज प्रशासन को इसकी कोई परवाह क्यों नहीं की , ना हीं इस विषय में उनसे कोई संवाद किया गया।
– हास्टल बाथरूम मैस की हालत दायनीय है , कालेज प्रशासन के सन्दर्भ में होते हुए भी किसी प्रकार का सुधार कार्य क्यों नहीं किया गया।
– कन्या छात्रावासों में स्थानांतरण के आशवासन दिए गए है , परंतु उनपर कार्य नहीं किया गया , छात्राएं अभी भी उन्हीं खण्डहर छात्रावासों में रह रहीं हैं , जिसमें आए दिन किसी भी कक्ष में प्लास्टर गिरता रहता है जिससे होने वाली घटनाये नियमित रूप से सुनने में आती रहती है परंतु सोये हुए कालेज प्रशासन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है ।
– कैजुअल्टी एवं वार्डों में डॉक्टरों की सुरक्षा के संबंध में पहले दिए गए ज्ञापन में आपके द्वारा क्या कार्रवाई की गई।