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जम्मू-कश्मीर में मिला भारत का पहला अनोखा जीव, चूहे जैसी है कद-काठी, बदन पर हैं कांटे ही कांटे

जम्मू-कश्मीर से वन विभाग के अधिकारियों ने एक अनोखो जीव को पकड़ा है। बताया जा रहा है ऐसा जीव भारत में पहली बार मिला है। इसे पकड़ने के बाद इसकी पुष्टि के लिए DNA मैच किया गया जो सही पाया गया। अधिकारियों के मुताबिक इस जीव के इस क्षेत्र में मिलने से इस प्रदेश में जैव विविधता की लंबी सूची में एक और इजाफा है। हालांकि इस जीव के मार्च में ही यहां होने के संकेत मिले थे।

क्या है यह जानवर

जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ वन्यजीव डिविजन के नौशेरा क्षेत्र से इस जानवर को पकड़ा गया है। इसका नाम बैंडट्स हेजहॉग है। इसे आम भाषा में कांटे वाला चूहा भी बोल देते हैं। दरअसल, इसकी कद-काठी चूहे जैसी होती है। इसके शरीर पर कांटेदार बाल होते हैं। इसके कान चूहों के मुकाबले बड़े और लंबे होते हैं। राजौरी-पुंछ वन्यजीव वार्डन अमित शर्मा की अगुवाई वाली टीम ने इसे पकड़ा। इस जानवर के बारे में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण से जानकारी मांगी गई, जिसकी पुष्टि इसके वैज्ञानिकों ने कर दी। खतरा महसूस होने पर यह अपने शरीर को गेंद की तरह गोल-गोल कर लेता है।

 

ऐसे हुई पहचान

जब इसे पकड़ा गया तो समझ नहीं आया कि क्या यह हेजहॉग ही है या नहीं। वहीं हेजहॉग की भी कई प्रजातियां होती हैं। यह भी नहीं पता था कि यह हेजहॉग की कौन-सी प्रजाति वाला जीव है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने जब इसकी इसकी डीएनए प्रोफाइलिंग और दूसरे तरीकों से स्टडी की गई तो कंफर्म हुआ कि यह हेजहॉग की ब्रैंडट्स प्रजाति का है। डीएनए का मिलान NCBI USA के डेटाबेस से किया गया।

भारत में पहली बार

भारत में पहली बार यह जीव मिला है। यह जानवर मुख्य रूप से यूरोप, एशिया, अफ्रीका और न्यूजीलैंड में पाया जाता है। साथ ही यह ईरान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब आदि देशा में भी मिलता है। अगर बात एशिया की करें तो यह सेंट्रल एशिया में पाया जाता है। भारत सेंट्रल एशिया का नहीं, बल्कि साउथ एशिया का हिस्सा है। ऐसे में यह जीव भारत में नहीं पाया जाता। यह जीव जम्मू-कश्मीर में कहां से आया, अभी इसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया है।

और जानवरों की तलाश

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस क्षेत्र में और इस जानवर की संख्या और ज्यादा हो सकती है। वन्यजीव वार्डन को उस विशेष क्षेत्र में बैंडट्स हेजहॉग की आबादी का अनुमान लगाने और क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही विश्वविद्यालयों और भारतीय वन्यजीव संस्थान से कहा गया है कि वे इसकी उपस्थिति के लिए सहयोग करें।

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