गरज-तूफ़ानों की निगरानी और विमानन सुरक्षा पर दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

गरज-तूफ़ानों की निगरानी और विमानन सुरक्षा पर दी गई महत्वपूर्ण जानकारी
जबलपुर यश भारत।भारत मौसम विज्ञान विभाग के एयरोड्रोम मौसम विज्ञान कार्यालय, नागपुर द्वारा विगत दिनों “गरज-तूफ़ान निगरानी और विमानन सुरक्षा” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन नागपुर में किया गया।इसमें देश के सभी 107 हवाई अड्डों से लगभग 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम से जबलपुर के मौसम वैज्ञानिक भी ऑनलाइन जुड़े।
कार्यक्रम का उद्घाटन गजेन्द्र कुमार, प्रमुख, सी ए एम डी नई दिल्ली द्वारा किया गया, जिन्होंने आईसीएओ और डीजीसीए की गाइडलाइनों का हवाला देते हुए बताया कि मौसम विज्ञान से संबंधित अधिकारियों के लिए हर छह महीने में रिफ्रेशर कोर्स आवश्यक हैं ताकि उनकी संचालनात्मक दक्षता बनाए रखी जा सके। स्वागत भाषण आर एम सी नागपुर के प्रमुख आर. बालासुब्रमणियन द्वारा दिया गया, जिन्होंने प्रशिक्षण की रणनीतिक भूमिका और क्षेत्रीय समन्वय को रेखांकित किया।
इस प्रशिक्षण का नेतृत्व डॉ. रिज़वान अहमद, निदेशक एवं वैज्ञानिक-डी, ए एम ओ नागपुर द्वारा किया गया। उन्होंने तकनीकी समन्वय के साथ-साथ “सैटेलाइट आधारित गरज-तूफ़ान निगरानी” पर विशेषज्ञ व्याख्यान भी दिया, जिसे प्रतिभागियों द्वारा अत्यंत उपयोगी माना गया.
कार्यक्रम के पहले दिन का फोकस गरज-तूफ़ानों की जलवायु विशेषताओं, पूर्वानुमान मॉडल, और क्षेत्रीय विश्लेषणों पर रहा। दिन की शुरुआत डॉ. शशिकांत मिश्रा (NWFC, नई दिल्ली) के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने भारत में गरज-तूफ़ानों की दीर्घकालिक प्रवृत्तियों और जलवायु विश्लेषण को प्रस्तुत किया। इसके पश्चात डॉ. अखिल श्रीवास्तव (NWP, नई दिल्ली) ने HRRR मॉडल द्वारा तूफ़ानों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन पूर्वानुमान की विधियाँ साझा कीं।
श्रीमती लता श्रीधर (MC बेंगलुरु) ने विदर्भ क्षेत्र की विशिष्ट संवहनीय परिस्थितियों और स्थानीय तूफ़ानों की घटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया, जो क्षेत्रीय विमानों के संचालन में विशेष महत्व रखता है।
दूसरे दिन का कार्यक्रम उन्नत पूर्वानुमान विधियों, रडार आधारित सेवाओं और DSS मॉडल पर केंद्रित रहा। डॉ. अनुप कुमार मिश्रा (CAMD, नई दिल्ली) ने उपग्रह और रडार से संयुक्त नाउकास्टिंग तकनीकों पर गहराई से प्रकाश डाला। इसके पश्चात डॉ. राधेश्याम शर्मा (MC जयपुर) ने पश्चिमी विक्षोभों के कारण उत्पन्न तूफ़ानों की व्याख्या की, जो उत्तरी भारत की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
श्री प्रदीप शर्मा (MC अहमदाबाद) ने गरज-तूफ़ानों की वास्तविक समय में पहचान और नाउकास्टिंग की प्रभावी तकनीकों को साझा किया। डॉ. त्रिसानु बनिक (नई दिल्ली) ने आकाशीय बिजली की जलवायु विशेषताओं और EWRF मॉडल के उपयोग से जुड़ी जानकारी प्रदान की, जो विशेष रूप से उड़ानों के मार्ग निर्धारण में सहायक है।
प्रदीप शर्मा (MC अहमदाबाद) ने गरज-तूफ़ानों की वास्तविक समय में पहचान और नाउकास्टिंग की प्रभावी तकनीकों को साझा किया। डॉ. त्रिसानु बनिक (नई दिल्ली) ने आकाशीय बिजली की जलवायु विशेषताओं और EWRF मॉडल के उपयोग से जुड़ी जानकारी प्रदान की।
इसके बाद अमित कुमार रडार एप्लिकेशन सेल, नई दिल्लीने विमानन सेवाओं के लिए रडार आधारित वास्तविक समय की सेवाओं का प्रदर्शन किया। डॉ. प्रवीण कुमार (RMC नागपुर) ने Decision Support System (DSS) मॉडल का प्रयोग करके तूफ़ान पूर्वानुमान में इसका व्यावहारिक उपयोग दिखाया, जो प्रशिक्षण का एक प्रमुख आकर्षण रहा।