जबलपुर में अवैध कॉलोनियों का जाल, अफसर बने मूकदर्शक
खेत की जमीन पर प्लॉट का गोरखधंधा, मूलभूत सुविधाओं से वंचित लाखों नागरिक

जबलपुर, 19 अप्रैल 2025: शहर में धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियों का निर्माण जारी है, जहाँ सस्ते प्लॉट के नाम पर कृषि भूमि बेची जा रही है। आश्चर्य की बात यह है कि कॉलोनी निर्माण की स्वीकृति और नगर निगम से नक्शा पास कराए बिना ही इन कॉलोनियों को आकार दिया जा रहा है। इस अवैध कारोबार का खामियाजा शहर के लाखों नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहकर भुगतना पड़ रहा है, जबकि जिम्मेदार अफसर निर्माण की प्रक्रिया के दौरान मूक दर्शक बने रहते हैं।
अवैध कॉलोनियों में नारकीय जीवन:इन अवैध कॉलोनियों की प

5 कॉलोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया चल रही है, जो समस्या की विशालता के सामने ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है।
गडंडीनुमा सड़कें आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस और दमकल वाहनों के लिए भी दुर्गम साबित हो रही हैं। घरों के आसपास नालियों में जमा गंदगी, कूड़ाघर में तब्दील खाली प्लॉटों से उठती दुर्गंध निवासियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। बरसात के मौसम में जगह-जगह जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कई कॉलोनियों में तो बिजली के खंभे तक नहीं लगे हैं, जहाँ बांस-बल्लियों के सहारे खतरनाक तरीके से केबलें तनी हुई हैं।
जिम्मेदारी से बचते अफसर: शहर में हर साल भूमि विकास निगम के नियमों का उल्लंघन करते हुए लगभग आधा दर्जन नए अवैध रहवासी इलाके अस्तित्व में आ रहे हैं। प्लॉटों की बिक्री और भवनों के निर्माण तक नगर निगम, राजस्व विभाग और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। जब निर्माण पूरा हो जाता है, तो अपनी नाकामी छुपाने के लिए इन कॉलोनियों को अवैध घोषित कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। यह कहानी अकेले नई नहीं है, बल्कि सात साल पहले नगर निगम की सीमा में शामिल हुए 55 गांवों से बने वार्डों सहित शहर की
210 से अधिक अवैध कॉलोनियों की यही सच्चाई है। वर्तमान में केवल 2
स्वच्छता रैंकिंग पर खतरा: इन अवैध कॉलोनियों के अनियोजित निर्माण से शहर की छवि धूमिल हो रही है। इन क्षेत्रों में सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना भी एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इन अवैध कॉलोनियों का सीधा असर शहर की स्वच्छता रैंकिंग पर पड़ रहा है।
इन क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों की भरमार: शहर के मानेगांव, मोहनिया, करमेता, रांझी, महाराजपुर, सुहागी, कछपुरा, गढ़ा, पुरवा, बाल सागर, परसवारा, चंदन कॉलोनी, गुजराती कॉलोनी, तिलहरी, बिलहरी और ग्वारीघाट जैसे क्षेत्रों में सबसे अधिक अवैध कॉलोनियाँ पनप रही हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता और अवैध कॉलोनियों के तेजी से बढ़ते जाल ने जबलपुर के विकास और नागरिकों के जीवन स्तर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।