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जैन समाज पर लागू होगा हिंदू विवाह अधिनियम: हाईकोर्ट ने पलटा फैमिली कोर्ट का फैसला

28 परिवाद एक साथ खारिज किए थे

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इंदौर: जैन समाज के तलाक मामलों में हाईकोर्ट ने सोमवार कोजैन समाज पर लागू होगा हिंदू विवाह अधिनियम: हाईकोर्ट ने पलटा फैमिली कोर्ट का फैसला

 

एक महत्वपूर्ण आदेश दिया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अल्पसंख्यक वर्ग के पक्षकारों को सुनवाई का अधिकार न होने के कारण 28 परिवाद एक साथ खारिज कर दिए गए थे।

यह 28 मामले ऐसे थे, जिनमें दंपत्तियों ने आपसी सहमति से तलाक के लिए अर्जी दी थी। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद, इन मामलों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत फिर से फैमिली कोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा जाएगा।

क्या था फैमिली कोर्ट का फैसला?
फैमिली कोर्ट ने तर्क दिया था कि जैन समाज को अल्पसंख्यक कैटेगरी में रखा गया है और उनके धर्म प्रथाएं हिन्दुओं से अलग हैं। इसलिए जैन समाज के लोगों को हिंदू विवाह अधिनियम का लाभ नहीं दिया जा सकता। इस आधार पर फैमिली कोर्ट ने 28 मामलों को खारिज कर दिया था।

हाईकोर्ट का तर्क:
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 में उल्लेख है कि जैन समाज को हिन्दू धर्म के अंतर्गत माना गया है। इस आधार पर जैनों पर भी हिंदू विवाह अधिनियम लागू होगा। कोर्ट ने यह भी माना कि फैमिली कोर्ट को इन मामलों को खारिज करने के बजाय हाईकोर्ट में रेफर करना चाहिए था। इसलिए ये सभी मामले अब फैमिली कोर्ट को वापस भेजे गए हैं।

अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल की बात:
अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल ने बताया कि फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इसमें ऐसे मामले पेश किए गए, जिनमें अल्पसंख्यक वर्ग के पक्षकारों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत सुना गया था। इसके अलावा, हाईकोर्ट ने जैन, सिख, और बौद्ध धर्म के पक्षकारों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत सुना था और आदेश पारित किए थे।

 

अब क्या होगा?
जैन समाज के ये 28 केस अब हिंदू विवाह अधिनियम के तहत फैमिली कोर्ट में सुने जाएंगे, जिससे जैन दंपत्तियों के तलाक और पारिवारिक विवादों का समाधान हो सकेगा।

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