मिला था आशियाना बनाने करने लगे व्यापार
शताब्दीपुरम ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में जेडीए और जिला प्रशासन के दिशा निर्देशों की उड़ रहीं धज्जियां
शताब्दीपुरम ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में जेडीए और जिला प्रशासन के दिशा निर्देशों की उड़ रहीं धज्जियां
आवासीय कॉलोनी , खुलने लगी दुकानें, गोदामें
जबलपुर, यशभारत। उखरी चौक के समीन स्थित शताब्दीपुरम ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में जेडीए और नगर प्रशासन के दिशा निर्देशों की कतिपय लोग सरे आम धज्जियां उड़ाते हुए आवासीय उपयोग की अनुमति के उलट व्यावसायिक उपयोग करने में जुट गए हैं। कई लोग तो प्लाटों को गोदाम में तब्दील करने में जुटे है। मुख्य मार्ग तो अब धीरे व्यावसायिक गतिविधियों का केन्द्र बनता जा रहा है। जबकि जबलपुर विकास प्राधिकरण के ईडब्लयूएस भूखंड सिर्फ रहवासी क्षेत्र के लिए आवंटित किए गए थे पर अब यहां पर रेस्टारेंट, किराना दुकानों के साथ साथ चाय नास्ते की दुकानें खुलने से आए दिन जहां सड़क जाम की स्थिति बनती है वहीं चाय की दुकानों में शाम ही युवाओं का जमावड़ा रहता है। युवा दुकान के सामने खड़े होकर सिगरेट के धुओं के छल्ले उड़ाते हुए लूडो खेलते नजर आते हैं। इनके वार्तालाप भी बेहद गंदे होते है जिससे लोग परेशान हैं। इसके अलावा ये कालौनी में भी झुंड बनाकर खड़े रहते हैं।
यहां व्यापारियों ने ओने पौने दामों में प्लाट खरीदकर वहां गोदाम बिल्डिंग के ऊपरी तलों पर भी व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। पर न जाने क्यों जेडिए और नगर निगम के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि ये नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा की बिना अनुमति के खुले गए हैं। यहां और भी व्यावसायिक गतिविधि शुरू करने की कोशिश की जा रही है। किराए से देने का बोर्ड भी लगा रखे हैं।
इस कॉलोनी में 13 गुणा 29.5 फीट के प्लॉट लॉटरी से आवंटित हुए थे। इनमें से अब भी 40 फीसदी प्लॉट खाली पड़े हैं। कई वर्षो के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुए। इन प्लाटों की कीमत आज लाखों में है इसलिए लोग री सेल के फिराक में हैं। रोजाना प्रापर्टी बोकर्स लोगों को लाते हैं। जबकि जेडीए के नियमानुसार तीन साल के भीतर ही निर्माण कार्य कराना होता है। आवासीय अनुमतियां लेकर व्यवसायिक निर्माण व व्यवसायिक उपयोग बढऩे के मामले में रहवासी भी विरोध कर रहे हैं। मुख्य मार्ग और कनेक्टिंग सड़कों से जुड़े प्लाटों में और पुराने भवनों के स्थान पर कमर्शियल भवनों का निर्माण होने लगा है। लोग इन स्थानों पर बहुमंजिला नए शो रूम का निर्माण करा रहे हैं। कोचिंग संस्थान, बैंक, बीमा कंपनियों को भवन किराये पर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
निगम के अधिकारी आंखें किए हैं बंद
सड़क किनारे जिन लोगों के मकान बने हैं और नगर निगम से आवासीय भवन बनाने का नक्शा पास कराया गया था, अब उन्हीं मकानों में दुकानें संचालित होने लगी हैं। जबकि आवासीय परिसर में दुकानों का संचालन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। मुख्य मार्ग में एक के बाद एक दुकानें खुलती जा रही हैं और नगर निगम के अधिकारी आँखें बंद किए हुए हैं। उन दुकानों को बंद कराने की वे कार्रवाई तक नहीं कर रहे हैं। यह आबादी क्षेत्र शहर में एक अलग पहचान बना चुका है। अब यहाँ के हालात दिनों-दिन बदलते जा रहे हैं। कई होटल और दुकानें संचालित होने लगी हैं।
असामाजिक तत्वों का आना हुआ शुरू
क्षेत्र में प्रतिष्ठित संभ्रांत लोगों के आवास भी बने हुए हैं, जिन्हें शांति और सुकून पसंद है। लेकिन ऐसे कई लोगों ने मकान बना लिए हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित संभ्रांत लोगों का सुकून छीन लिया है और अपने मुनाफे के लिए आवासीय परिसर में ही दुकानें खोल ली हैं और उन दुकानों में असामाजिक तत्वों का आना-जाना शुरू हो गया है। लिहाजा पूरा परिसर धीरे-धीरे मार्केट में तब्दील होता जा रहा है और विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
ये हैं कमर्शियल उपयोग के नियम
-नगर निगम से भवन अनुज्ञा प्राप्त करते समय भवन स्वामी को नाम, पता और परिसर की पूर्ण जानकारी देनी होगी।
-नगर निगम द्वारा 60 फीट चौड़ी सड़क पर ही कमर्शियल उपयोग करने की परमीशन दी जा सकती है।
-भूमि स्वामी यदि अपने मकान को कमर्शियल उपयोग के लिए बनाता है तो उसे अपने मकान के सामने 20 फीट जगह छोड़नी होगी।
-रहवासी क्षेत्र में व्यावसायिक परमीशन देने का प्रावधान नहीं है।
-कमर्शियल उपयोग होने पर नगर निगम भूमि स्वामी का नक्शा निरस्त कर सकता है और कार्रवाई सुनिश्चित कर सकता है।
-मुख्य सड़क होने के बाद भी दुकानों के सामने भीड़ जमा रहती है।
नगर निगम से आवासीय भवन का नक्शा पास कराया गया और कमर्शियल उपयोग होने लगा है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
ईडब्लयूएस भूखंडों में नियमानुसार दुकान बनाने की परमीशन तो नहीं दी जा सकती है। इसके लिए आवासीय और कमर्शियल भवनों के लिए नियम बने हुए हैं। यदि दुकानें खुल गई हैं तो उन भवन स्वामियों से दस्तावेज मँगाए जाएँगे और उन दस्तावेजों को देखने के बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
अजय शर्मा, भवन अधिकारी नगर निगम जबलपुर