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प्रदेश में पहली बार ब्यूरोक्रेसी नेता(पूर्व ब्यूरोक्रेसी) में शीत युद्ध चिंता का सबब – मुख्यमंत्री ने दुबई से ली जानकारी 

प्रदेश में पहली बार ब्यूरोक्रेसी नेता(पूर्व ब्यूरोक्रेसी) में शीत युद्ध चिंता का सबब
– मुख्यमंत्री ने दुबई से ली जानकारी
आशीष शुक्ला, भोपाल । प्रदेश के लिए यह काफी चिंता की बात है कि यह पहली बार देखा जा रहा है कि ब्यूरोक्रेसी और राजनीति के बीच खुलेआम शीत युद्ध जैसे हालात हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव विदेश दौरे पर हैं उन्हें वहां से हस्ताक्षेप करना पड़ा। यह अजीबोगरीब विडंबना है कि विदेश में रहकर भी मुखिया को चिंतित होना पड़ा। राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (सिया) के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान के ऑफिस में ताला लगा दिया गया है। सिया के चेयरमैन ने इसकी शिकायत मुख्य सचिव अनुराग जैन से की है। इसके पूर्व चौहान ने मुख्यमंत्री से भी शिकायत की थी। मामला सिया के पास आई 400 से ज्यादा प्रोजेक्ट की फाइलों को नियम विरुद्ध तरीके से अनुमतियां जारी करने का है। चेयरमैन ने खुद ही विसिल ब्लोअर की भूमिका निभाते हुए पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और सदस्य सचिव उमा माहेश्वरी के खिलाफ एफआईआर की अनुशंसा की थी।
जब से पत्रकारिता को देखा है तब से यह पहली बार सामने आया है कि एक संस्था के चेयरमैन को उसके चपरासी ही जानकारी दे रहे हैं कि साहबों(ब्यूरोक्रेसी) के कहने पर आपके कक्ष में ताला डाल दिया गया है। दूसरी ओर यह भी चिंता का विषय है कि चेयरपर्सन अपने ही अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए पत्र लिखते हैं। आखिर ऐसा क्या माजरा है कि जिससे आफिस में ताला लगने से लेकर एफआईआर दर्ज कराने की बात की नौबत आई। जनता को इससे क्या लेना देना वह तो अपने हाल पर है। खदानों की एनओसी को लेकर इतना बवाल नियमों का हवाला सब जायज, लेकिन जो ब्यूरोक्रेसी और राजनेताओं के बीच द्वंद सामने आया है यह प्रदेश को कहां ले जाएगा। ब्यूराक्रेसी जब इस देश में आजादी के समय उस समय के राजनेताओं की सोच थी कि राजनीति में पढ़ाई लिखाई के बिना भी जब कोई नेता मंत्री बनेगा तब ये पढ़े लिखे ब्यूरोक्रेसी अधिकारी उनको शासन हित में अपनी राय देंगे। वहीं नेताओं का भी यह धर्म तय किया गया था कि वे जनता के हित में ब्यूरोक्रेसी के साथ तालमेल बनाकर हर समस्या का या विकास का पैमाने ऐसा तय करेंगे जो एक साइकिल के दो पहिए की तरह चलेंगे। इस मामले में कौन सही कौन गलत यह तो कोई नहीं बता सकता , लेकिन जो हो रहा है वह अच्छा नहीं है। जो भी सुनता है वह आवाक हो जाता है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव काफी संवेदनशील हैं। अब मुखिया को ऐसे मामलों में ध्यान देना पड़ रहा है जो ना तो ब्यूरोक्रेसी के लिए ठीक और ना ही राजनेताओं के लिए। भोपाल में विकास कार्यों की चर्चा को छोडक़र यह सिया विवाद को लेकर लोग दुखी भी हैं और हैरान भी हैं। कभी ना सोचा था कि एक पूर्व आईएएस और राजनीति में आए उनके कक्ष का ताला उनके ही विभाग में पदस्थ आईएएस लगा देंगे। विवाद तो होते रहते हैं, लेकिन पुलिस तक बात पहुंचना यह काफी रोचक घटना है।
दोनों पक्ष नियम कानून की दुहाई दे रहे हैं, पर भविष्य में जो सिया से काम रूके हैं और जिनके हो गए हैं वे सब अधर में है देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है। यह भौतिक युग भी अजीब है जो लाभ हानि पर ध्यान देता है।

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