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फर्जी प्रमाण पत्र घोटाला मामला: SC ने कलकत्ता HC के फैसले पर लगाई रोक

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NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में फर्जी प्रमाण पत्र घोटाला मामले की सीबीआई जांच के संबंध में कलकत्ता हाई कोर्ट की दो पीठों से पारित आदेशों पर स्वत: संज्ञान लिया है और अब SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी. इस मामले में अदालत ने याचिकाकर्ता और पश्चिम बंगाल सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है.

पांच जजों की पीठ ने की सुनवाई

दरअसल, पश्चिम बंगाल फर्जी प्रमाणपत्र घोटाला मामले की सीबीआई जांच को लेकर हाई कोर्ट की दो पीठ ने अलग-अलग फैसले सुनाए थे. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की स्पेशल पीठ ने शनिवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सोमवार तक सुनवाई टाल दी है.

केंद्र सरकार ने जवाब के लिए मांगी इजाजत

साथ ही सोमवार को इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार और HC में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता को नोटिस कर जारी कर जवाब देने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी इस मामले में एक नोट दाखिल करने की इजाजत दी है. मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले पर जवाब दाखिल करने की इजाजत मांगी थी.

अभिषेक बनर्जी भी दाखिल करेंगे अर्जी

पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि वो राज्य सरकार की तरफ से अर्जी दाखिल करेंगे, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी की ओर से अर्जी दाखिल करेंगे. सिंघवी ने कहा कि इस मामले में बार-बार अभिषेक बनर्जी का नाम लिया जा रहा है जो उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है.

क्या है मामला

बता दें कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाने के घोटाले की सीबीआई जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट जज जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने 24 जनवरी बुधवार को सुबह एक आदेश पारित कर पश्चिम बंगाल पुलिस से मामले से संबंधित दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ बेंच ने उसी दिन जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगा दी थी.

वहीं, रोक के बावजूद जस्टिस गंगोपाध्याय की एकल-पीठ ने अगले दिन 25 जनवरी को फिर से आदेश सुनाते हुए मामले के कागजात सीबीआई को सौंपने की अनुमति दे दी थी. इतना ही नहीं जस्टिस गंगोपाध्याय ने डिवीजन बेंच की अध्यक्षता कर रहे जज सौमेन सेन पर एक राजनीतिक पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप भी लगाया था

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