जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

डोरीलाल की चिन्ता – दो रूपये में भक्ति की टेस्टिंग

दिल आज खुशी से पागल है। जब से ये खबर सुनी है चैन ही नहीं पड़ रहा। कहां बैठूं कहां दौड़ूं। अचानक टी वी में पट्टी चलने लगी। पेट्रोल और डीजल आज से दो दो रूपये सस्ता। डोरीलाल के खुशी के मारे धारों धार आंसू बहने लगे। हाय एक साथ इतनी सारी खुशी। हमको डर है, हम खुशी से न, आज मर जाएं। अखबार वालों का क्या है उनने हमेशा की तरह खबर लगा दी कि चुनाव की तारीख नजदीक आते ही सरकार ने डीजल पेट्रोल के दाम घटाए। टी वी वालों ने बहुत सपाट और निष्पक्ष होकर लोगों को सूचना दे दी कि दाम दो दो रूपये घट गये हैं। अब आप जी भर के पेट्रोल डीजल भरवायें। न सरकार की दयानतदारी पर संपादकीय लिखा न विद्वान कालम राइटर का लेख छापा।
डोरीलाल अहसान फरामोश जनता से परेशान हो गया है। खबर सुन ली और काम धंधे से लग गये। कोई फर्क ही नहीं। भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला देने वाला निर्णय हुआ है और जनता को कोई फर्क ही नहीं। अब तक तो अखबारों में राजा साहब के आभार के विज्ञापन छा जाना चाहिए थे। सड़कों पर होर्डिग लग जाना चाहिए थे। लोगों को टेंक फुल कराने के लिए दौड़ पड़ना चाहिए था। मगर कुछ भी नहीं। बस डोरीलाल भर खुश हैं जिनके पास साइकिल है जो हवा भराने से चल पड़ती है। लोग जनता को कोसते हैं जो चुप रहती है मगर ये नहीं देखते कि अब जनता अपना भला कराने से ऊब चुकी है। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता यदि तेल गैस के दाम बढ़ा दो। वो बढ़े दाम पर चीज़ें खरीदने लगती है। वो देश के लिए अपने दुख दर्द भुला बैठी है। अब वह आध्यात्म के स्तर को छू रही है। उसकी कोई चाहना नहीं है। वो भौतिक चीजों से ऊपर उठ चुकी है।
जनता थक चुकी है। वो इसमें संतुष्ट है कि वो जीवित है। अब वो भगवान के ठीक पास बस पंहुचने ही वाली है। उसका भक्तिकाल में प्रवेश हो चुका है। साहित्य में भक्तिकाल तब आया था जब जनता को समझ आ गया था कि अब भगवान ही उनकी रक्षा कर सकते हैं। मनुष्य के हाथ से बात निकल चुकी है। उस समय के शासक अच्छे से स्थापित हो चुके थे। वो किसको मारें किसको छोड़ें ये उनकी इच्छा थी। तो तमाम कवियों ने ईश्वर की भक्ति को ही मुक्ति का मार्ग बताया और जनता मुक्त हो गई। गरीबी, भुखमरी और अत्याचार की जब इंतिहा हो जाती है तब या तो मनुष्य गुस्से में आकर मार पीट करने लगता है या फिर पिटने और मर जाने के लिए अपने को प्रस्तुत कर देता है।
पहले वशीकरण मंत्र हुआ करता था। अब वो मंत्र एक आदमी को ही मालूम है। उस मंत्र से उसने पहले हर खबरची को वश में किया। फिर जनता को वश में कर लिया है। जनता यदि हिप्नोटाइज नहीं भी हो तो खबरची तो वश में कर लिए गए हैं इसलिए पता तो यही चलता है कि जनता भक्ति में लीन है।
भारत की निरीह थकी जनता आजकल टेस्टिंग रेंज में है। टेस्टिंग रेंज जिसे चांदमारी भी कहते हैं वही जगह जहां गोला बारूद की मारक क्षमता टेस्ट की जाती है। बिल्कुल शुरू में जनता नशे में थी और नशा बिलकुल ताजा था। 2014 में जो नशा चढाया गया है उसकी परीक्षा 2016 में नोटबंदी करके देखी गई। जनता लाइन में खड़े खड़े मर गई मगर नशा खंडित नहीं हुआ। फिर जी एस टी से जो बरबादी हुई उसके बाद भी व्यापारी और ग्राहक नशे में बने रहे। फिर 2019 के चुनाव में पुलवामा का नशा चढ़ाया और बाकायदा मरीज बेहोश हो गया। फिर आपदा में अवसर आया। कोरोना। लाखों मर गये। मगर चांदमारी में टेस्टिंग जारी रही। राजा ने कहा प्यारी जनता अपने अपने घरों में खड़े होकर थाली बजाओ ताली बजाओ तो जनता एक कदम बढ़कर चौराहे पर गरबा करने लगी। फिर कहा छत में खड़े होकर मोबाइल की लाइट जलाओ। दिये जलाओ। जनता ने हुकुम माना। राजा हर कुछ दिन में टेस्ट लेता है। फिर सरकार के विमान अस्पतालों में फूल बरसाने लगे। जनता खुश। राजा खुश कि नशा बरकरार है। फिर कहा जनता अपने अपने घर में हमसे खरीदकर तिरंगा लगाओ। तभी पता चलेगा कि कौन देशभक्त है। जनता ने झंडे लगा दिए। राजा ने आदेश दिया तो फिल्में बन गईं। राजा फिल्मों के प्रमोशन में लग गया। टैक्स फ्री कर दिया। जनता फिल्म देखने लपक पड़ी। जनता को दिन रात सिखाया गया कि नफरत करो, घृणा करो। तो जनता घृणा से सराबोर है। वो प्रेम भूल चुकी है। वो केवल घृणा करती है। जनता को इतना होशियार बना दिया गया है कि मंहगा पेट्रोल खरीदती है और गाली विपक्ष को देती है। वो मंहगाई से परेशान है मगर दोषी विपक्ष को मानती है।
चुनाव की घोषणा होने के पहले अंतिम अस्त्र फेंक दिया गया है। उनका दावा है कि वो भगवान राम को लाए हैं। पूरे देश में गली-गली स्कूटर, कार, मोटरसाइकिल, घर, अपार्टमेंट, कालोनी, बंगले सबमें झंडे लगा दिए गए हैं। दीवाली मना ली गई है। हर रोज एक लाख लोगों को ले जाकर अयोध्या में दर्शन कराये जा रहे हैं। इतनी प्रबल भक्ति भावना पैदा हो गई है कि फिर भक्त गण विपक्ष पर हमलावर हो गए हैं। ये विपक्ष प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आया। जबकि राजा खुद प्राण प्रतिष्ठा कर रहा था। उसने कहा भी कि पांच सौ साल बाद राम आये हैं। कोई ने नहीं पूछा कि गए कहां थे ? अब तक कहां थे ? कोई ने नहीं पूछा कि किस मनुष्य में इतनी शक्ति है कि वो निर्जीव मूर्ति में भगवान की प्राणप्रतिष्ठा करे ? किसी ने नहीं पूछा कि भगवान भक्त की रक्षा करते हैं कि भक्त भगवान की रक्षा करते हैं ? भगवान सर्वशक्तिमान हैं या भक्त ?
मगर राजा का उद्देश्य पूरा हो चुका है। उसकी टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। उसे जनता की सोचने समझने और तर्क करने की क्षमता का टेस्ट लेना था उसने ले लिया। अब वो निष्कंटक भाव से रणभूमि में जाएगा। उसने केवल दो रूपये में टेस्टिंग कर ली।
डोरीलाल राजाप्रेमी

Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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