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हिन्दू महापुरुषों का अपमान करने वाला डिप्टी रजिस्ट्रार हुआ बर्खास्त

पीएमओ की सख्ती से NIMHR के डिप्टी रजिस्ट्रार मो. अशफाक पर हुई कार्रवाई

 

 

एबीवीपी ने चलाया आंदोलन, छात्रों में खुशी की लहर

नई दिल्ली/भोपाल। (23 मई) मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (NIMHR) के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक द्वारा अवैध रूप से कक्षाएँ लेकर हिन्दू महापुरुषों के अपमान और आर्थिक गबन की पुष्टि होने के बाद बड़ी कार्रवाई हुई है। पीएमओ की सख्ती के बाद NIMHR के भ्रष्ट व जेहादी डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक को सोमवार देर शाम तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। प्रोबेशन पर चल रहे अशफाक के विरुद्ध दिसंबर 2022 में मिली गंभीर शिकायतों पर चली लंबी जांच के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने उसकी सेवाएँ समाप्त कर दी हैं।
गौरतलब है कि दिसंबर 2022 में NIMHR के छात्रों ने पीएमओ को पत्र लिखकर अशफाक पर महाभारत के हिन्दू पात्रों को दिव्यांग बताये जाने की शिकायत पीएमओ को भेजी गई थी। अवैध रूप से कक्षाएं लेने वाले मो. अशफाक पर द्रौपदी, गांधारी, धृतराष्ट्र आदि के बारे में अनर्गल टिप्पणी करने तथा उसके द्वारा गबन की भी शिकायत मंत्रालय को मिली, जो जांच में सही पायी गई।
यही नहीं, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को एक शिकायती पत्र मिला था जिसमें डिप्टी रजिस्ट्रार मो. अशफाक द्वारा गलत ढंग से 1 लाख 46 हजार रुपए निकालने के साक्ष्य सहित शिकायत की गई थी। दरअसल, अशफाक को यहां पदभार ग्रहण करने पर यात्रा भत्ता की पात्रता नहीं थी लेकिन फर्जी तरीके से उसने 1 लाख 46 हजार रुपए की राशि प्राप्त ली। इस बात की भनक उसने उच्च अधिकारियों को भी नहीं लगने दी थी और महीनों तक छिपाता रहा। इसका खुलासा भी कैग की जांच के दौरान हुआ और जब कैग ने प्रोबेशनरी डिप्टी रजिस्ट्रार से राशि रू0 146424 /- बावत सवाल किया तो उसने झूठे तथ्यों के आधार पर कैग से अनाधिकृत पत्राचार किया।
बहरहाल, बीते मार्च महीने में अशफाक पर लगे आरोपों की जांच करने आए मंत्रालय के उप सचिव मृत्युंजय कुमार ने भी इस गबन को सही पाया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर अशफाक से वसूली भी हो चुकी है।
पीएमओ को लिखे पत्र में छात्रों ने यह भी कहा था कि मोहम्मद अशफाक ने संस्थान में अपने आठ माह के कार्यकाल में जेहाद फैलाने के साथ आर्थिक गबन भी किये हैं। अशफाक संस्थान पर निजी कैमरों से नजर रखता है। निर्माणाधीन संस्थान के आसपास की जमीनें मालदार स्थानीय मुस्लिमों की हैं, जहां मोहम्मद अशफाक ने आते ही अपने संपर्क बढ़ाए हैं। आसपास के मुस्लिम युवाओं के यहां के कोर्सेस में एडमिशन अचानक बढ़ गए और मुस्लिम मरीजों की आमद भी बढ़ी है।
छात्रों ने यह भी लिखा था कि मोहम्मद अशफाक सारी नमाजें अपने ऑफिस में ही पढ़ता है और उस दौरान कोई किसी काम से उनके पास जा नहीं सकता। स्टूडेंट्स ने आशंका जताई थी कि तबलीगी हुलिया में ऑफिस आने वाले मोहम्मद अशफाक के ताल्लुक पीएफआई जैसे किसी संगठन या मुस्लिम जमात से हो सकते हैं।
गौरतलब है कि भ्रष्ट और जेहादी डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक की शिकायतों को लेकर अनेक संगठन भी नाराज थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मार्च 2023 से ही डिप्टी रजिस्ट्रार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ रखा था। एबीवीपी ने केंद्रीय विभागीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को ज्ञापन देने के साथ ही अनिश्चितकालीन धरना भी चलाया। अशफाक की सेवाएं बर्खास्त होने के बाद एबीवीपी ने भी संतोष जताया है। प्रांत मंत्री आयुष पाराशर ने कहा कि यह सत्य की जीत है और भ्रष्टाचार, कदाचार की हार है। इस कार्रवाई से मानसिक स्वास्थ्य का यह संस्थान सही दिशा में आगे बढ़ेगा।

एबीवीपी ने चलाया बड़ा आंदोलन

गौरतलब है कि छात्र संगठन एबीवीपी ने भ्रष्ट तथा जेहादी डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक को बर्खास्त करने की मांग को लेकर लंबा आंदोलन चलाया। हिन्दू महापुरुषों को अपमानित करने, अवैध कक्षाएं लेने और मनमानी को लेकर विगत 14 मार्च को एबीवीपी ने अशफाक के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था। कई बार ज्ञापन दिया और 10 मई से 17 मई तक अनिश्चितकालीन धरना दिया। इस दौरान अशफाक के खिलाफ अनेक साक्ष्य भी जुटाए और संबंधित विभागों में शिकायतें कीं। इस आंदोलन में हर्षित मेवाड़ा, शुभम व्यास, ऋषि सोनी, हरीश राजपूत, ऋतिक अरोड़ा, अनुराग पारे, विशाल यादव, आदि शर्मा, प्रियांशु रायकवार, कुशल मोडवानी, कुशल तिवारी, शैलेष सेन सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने प्रमुख भूमिका निभाई।

क्या है राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान

यह देश का पहला और एकमात्र अपने तरह का अनूठा मानसिक रोगियों का पुनर्वास संस्थान है, जिसकी कल्पना प्रधानमंत्री ने की और इसे स्थापित करने के लिए मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के सैकड़ाखेड़ा गांव को चुना गया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन यह केंद्र भोपाल-इंदौर हाईवे पर 25 एकड़ जमीन पर लगभग 180 करोड़ रुपए की लागत से निर्माणाधीन है। फिलहाल पुराने जिला पंचायत भवन में संचालित है।

ग्वालियर से भी हटाया गया था

डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक के खिलाफ लगे आरोपों के बाद मंत्रालय ने महीने पहले ग्वालियर में निर्माणाधीन डिसेबल स्पोर्ट सेंटर के उपनिदेशक के अतिरिक्त कार्यभार भी वापस ले लिया था। सूत्रों के मुताबिक वहां भी कुछ अनियमितताएँ पाई गईं थीं।

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