जाति धर्म और विचारधारा में समन्वय ही है सनातन : आशीष शुक्ला


जबलपुर यश भारत। अयोध्या में राम मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के मौके पर गत दिवस विजय नगर सनातन चौक में सुन्दर कांड पाठ आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि यश भारत के संस्थापक आशीष शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि सनातन धर्म एक बंद मु_ी की तरह है जिसमें अलग-अलग जातियां अलग-अलग धर्म और अलग विचारधारा के बीच समन्वय का होना ही सनातन की मूल भावना है और हमें इसी मूल भावना को अंगीकार कर हमेशा एक दूसरे के सुख-दुख में साथ खड़े होना चाहिए।
किसी से ईष्र्या ना करें बल्कि एक दूसरे के पूरक बनकर कार्य करते हुए आगे बढ़े। हमारा हिंदुस्तान एक बगीचे की तरह है जिसमें हम सब एक फूल की तरह है। जाति कोई भी हो धर्म कोई भी हो, विचारधारा कैसी भी हो इस सबसे परे हटकर आपस में भाई चारा और प्रेम ही है जिसके सहारे हम दुनिया की कोई भी चीज जीत सकते हैं फिर भले हमारे पास धन संपदा ना हो मनुष्यता ही सबसे बड़ी पूंजी है। सनातन चौक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भी एक बगीचे की तरह है जहां अलग-अलग स्थान से आकर अलग-अलग जाति धर्म और वर्ग के लोग बस गए और आपस में मिलजुल कर रह रहे हैं ।
यह बड़ी बात है। ऐसे में सभी का दायित्व बनता है कि सनातन चौक की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए कार्य करें। अपने उद्बोधन में श्री शुक्ल ने अपने जीवन के अनुभवों का भी जिक्र किया और कार्यक्रम के आयोजक महेश मिश्रा अजय पटेल राजेश चौबे संजय शुक्ला अरविंद संनबाल आदि के प्रति आभार भी व्यक्त किया। श्री शुक्ल ने कहा कि इस कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल होकर में खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।