अवैध शराब से बढ़ रहे विवाद, कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में — पुलिस की चुप्पी चिंता का विषय
शराब माफियाओं का आतंक, हमले, तस्करी और अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा

शहर में शराब का अवैध कारोबार दिन-ब-दिन कानून व्यवस्था को चुनौती देता नजर आ रहा है। एक ओर जहां सरकारी शराब दुकानों के ठेके खत्म होने की कगार पर हैं, वहीं दूसरी ओर अवैध शराब बेचने वाले अपराधियों ने आम जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। हालत यह है कि शराब को लेकर मारपीट, जानलेवा हमले और खुलेआम तस्करी जैसे मामले आम हो चुके हैं।
शराब नहीं मिली, तो जानलेवा हमला — डर के साए में जी रहे नागरिक
शहर के विभिन्न हिस्सों से सामने आ रही घटनाएं यह साफ दिखा रही हैं कि
अवैध शराब की बिक्री से जुड़े लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। शराब के लिए रुपये नहीं मिलने पर बदमाश अब मारपीट और हत्या की कोशिश तक करने लगे हैं। जो लोग पुलिस को सूचना देते हैं, उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है।
इन घटनाओं ने प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस सिर्फ छोटे धंधेबाजों पर कार्रवाई कर खुद को संतुष्ट कर रही है, जबकि असली गुनहगार अब भी खुलेआम घूम रहे हैं।
जांच में ढिलाई, जिम्मेदार अब भी बाहर
गोराबाजार थाना क्षेत्र की एक बड़ी कार्रवाई में भोंगाद्वार शराब दुकान के बाहर से एक मिनी ट्रक जब्त किया गया, जिसमें करीब 21 लाख रुपये मूल्य की 27,500 पाव देसी शराब मिली थी। यह शराब एक नामी फर्म की थी और बरेला स्थित लाइसेंसी दुकान से लाई जा रही थी।
हालांकि, इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी फर्म के असली मालिक की पहचान नहीं हो पाई है। सवाल यह उठता है कि जब माल की आपूर्ति फर्म की ओर से हुई है, तो मुख्य आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर क्यों है?
शराब माफियाओं में चल रहा सिंडीकेट विवाद, एक-दूसरे की कर रहे निगरानी
शहर में लाइसेंसधारी शराब दुकान संचालकों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में गुर्गे तैनात कर दिए हैं, जो यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई अवैध रूप से कम रेट पर शराब न बेचे और तस्करी भी न हो। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि कुछ ठेकेदारों ने शराब सिंडीकेट में शामिल होने से इंकार कर दिया, जिससे सिंडीकेट के अन्य सदस्य नाराज हो गए और आपसी विवाद शुरू हो गया।
घटनाएं जो उजागर करती हैं शराब माफिया की हिम्मत और पुलिस की कमजोरी
केस 1: विरोध करने पर जानलेवा हमला
अधारताल के कटरा क्षेत्र में रहने वाले योगेश सेन ने इलाके में नारायण जयस
वाल, प्रतीक जायसवाल और गौरव जायसवाल द्वारा अवैध शराब बेचे जाने की शिकायत की थी। गुरुवार देर रात जब योगेश घर के बाहर टहल रहे थे, तब तीनों आरोपियों ने तलवारों से लैस होकर उन्हें घेर लिया और जान से मारने की कोशिश की।
केस 2: 21 लाख की शराब जब्त, लेकिन फर्म मालिक न
दारद
गोराबाजार पुलिस द्वारा भोंगाद्वार शराब दुकान के बाहर से पकड़े गए मिनी ट्रक से 27,500 पाव शराब बरामद की गई थी। यह शराब एक बड़ी फर्म की बताई गई, जिसे बरेला की शराब दुकान से लाया गया था। पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ा, परंतु फर्म के असली मालिक और नेटवर्क पर अब तक कार्रवाई नहीं हो पाई है।
जनता में बढ़ रही असुरक्षा, प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग
इन घटनाओं के बाद शहर के कई क्षेत्रों में असुरक्षा का माहौल है। लोगों का कहना है कि यदि पुलिस ने समय पर और सही दिशा में कार्रवाई की होती, तो हालात इतने खराब नहीं होते।
अब जनता, सामाजिक संगठन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि मांग कर रहे हैं कि:
पुलिस अवैध शराब के बड़े रैकेट्स का खुलासा करे
फर्म के असली मालिकों को गिरफ्तार किया जाए
विरोध करने वालों को सुरक्षा प्रदान की जाए
शराब के कारण होने वाले अपराधों की गहन समीक्षा की जाए
कानून को चुनौती देता शराब माफिया — क्या जागेगा प्रशासन?
शराब माफियाओं की खुलेआम दबंगई और पुलिस की लचर कार्रवाई ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आम आदमी की सुरक्षा का जिम्मा किसके हाथों में है? क्या प्रशासन समय रहते जागेगा या फिर जनता खुद कानून अपने हाथों में लेने पर मजबूर होगी?