स्कूल नहीं मंदिर में बैठकर भविष्य गढ़ रहे बच्चे: शंकर चमन नगर प्राथमिक स्कूूल
जबलपुर, यशभारत। सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं पूरी तरह से कागजों में ओके दिख रही है, कभी विभाग प्रमुखों ने जानकारी मांगी तो अधिकारी कागज उठाकर भेज देते हैं लेकिन धरातल में स्थिति भयावह है। ताजा उदाहरण शासकीय प्राथमिक शाला शंकर चमन नगर करमेता का है जहां बच्चे स्कूल छोड़ मंदिर में अध्यापन करने मजबूर है। बीते कई साल से स्कूल की बिल्डिंग जर्जर, कमरों में दरारें आ चुकी है, बच्चे अध्यापन करने से कतरा रहे हैं।
स्कूल में 140 बच्चे अध्यनरत है, स्कूल 1997 में स्थापित हुआ था। उस वक्त क्षेत्रीय लोगों की यही मानसियकता थी कि बच्चे यहां पढ़कर अपना भवष्यि बनाए। समय के साथ स्कूल की व्यवस्थाओं के साथ ढांचा बदला परंतु वर्तमान दौर में स्कूल का भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। बरसात के समय तो बच्चे स्कूल ही नहीं पहंुचे। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस संबंध में स्कूल प्राचार्य सहित क्षेत्रीय लोगों ने जिम्मेदार अधिकारियों तक स्कूल की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी पहंुचाई परंतु आज तक जर्जर भवन के मरम्मतिकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
दो कमरे ज्यादा जर्जर
बताया जा रहा है कि प्राथमिक स्कूल के दो कमरे सबसे ज्यादा जर्जर है जिसकी वजह से कुछ कक्षाओं को पास में ही बने दुर्गामंदिर में लगानी पड़ रही है। स्कूल प्राचार्य संजय चैबे बताते हैं कि बरसात के समय दो कमरों में कक्षाएं लगाना खतरे से खाली नहीं है इसलिए मंदिर में कक्षा संचालित की जाती है।
बच्चे खुद साफ करते हैं शौचालय
बताया जा रहा है कि शाला मे नगर निगम द्रारा स्वीपर ना होने के कारण शिक्षको को छात्रो की लेट ,बाथ स्वंय सफाई करना पड रही है तथा मैदान मे पानी भरता है पानी निकासी नही है जिसकी वजह से बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शाला मे दो कक्षा के कमरे अत्यधिक मरम्मत योग्य है पर इन की मरम्मत करने हेतू शाला मे अलग से कोई राशि नही है।