धान उपार्जन में फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला:- अपने ही कर रहे अपनों की जांच
जिस विभाग ने किया था सत्यापित, अब वही विभाग देख रहा दस्तावेज

जबलपुर यश भारत। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चल रही धन उपार्जन में फर्जी पंजीयन का मामला लगातार गर्म होता जा रहा है। धान के रेट 3100 होने की घोषणा के चलते जमकर फर्जी रजिस्ट्रेशन हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी जांच में भी कोई स्पष्ट नजर नहीं आ रही है। पूरे जिले में लगभग 10000 से अधिक सिकमी नामें के आधार पर पंजीयन कराए गए हैं। लेकिन प्रशासन सिर्फ एक समिति पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं, बाकी जगह खुलकर फर्जीवाड़ा चल रहा है। खाद्य विभाग द्वारा जो टीम बनाई गई है उसमें भोपाल और जबलपुर के ASO और JSO को शामिल किया गया है जो की पहले से ही उपार्जन और पंजीयन के कार्यों की मॉनिटरिंग करते हैं । ऐसे में सवाल उठता है कि जांच कितनी निष्पक्ष होगी । इसके अलावा जांच दल में मझौली तहसीलदार को भी शामिल किया गया है जबकि पंजीयन का सत्यापन भी भू राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा ही किया गया है। ऐसे में राजस्व विभाग के अधिकारी किस तरह से निष्पक्ष जांच करेंगे यह सवाल उठाना तो लाजिमी ही है।
आखिरी के 10 दिनों में हुआ खेल
खाद्य विभाग के अधिकारियों को बहुत अच्छे से मालूम है कि सबसे अधिक सिकमिनमे के रजिस्ट्रेशन 10 अक्टूबर से लेकर 20 अक्टूबर के बीच में हुए हैं। जो की पंजीयन करने के आखिरी 10 दिन थे और सभी मूल किसानों द्वारा आखिरी तारीख के पहले ही पंजीयन करा लिए जाते हैं। उसके बाद जो जमीन खाली रह जाती है उनमें फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार करके मूल किसानों की जानकारी के बिना पंजीयन कर लिए जाते हैं। लेकिन अधिकारी बड़ी संख्या में पंजीयन होने की बात कह कर जांच में हिला हवाली कर रहे हैं। जबकि उन्हें बहुत अच्छे से मालूम है की आखिरी के 10 दिनों के सिकमीनामें अगर देख लिए जाएं तो एक बहुत बड़ा मामला उजागर हो जाएगा। लेकिन जांच की आंच इन अधिकारियों तक भी आएगी इसके चलते हुए वे निष्पक्ष जांच करने से बच रहे हैं।
मझौली और कटंगी में भरमार
फर्जी रजिस्ट्रेशन को लेकर सबसे ज्यादा मामले मझौली और कटंगी क्षेत्र की सरकारी समितियां में सामने आए हैं। लेकिन कोई भी अधिकारी इनको लेकर जांच करने तैयार नहीं है। हालात यह है कि इन समितियां में कुंडम, शाहपुरा, सिहोरा, बरगी के किसानों के भी सिकमी नामे के आधार पर रजिस्ट्रेशन किए गए हैं। ऐसे में सवाल तो उठेगा कि आखिर 50 किलोमीटर दूर से किसान इन समितियां में रजिस्ट्रेशन करने क्यों आ रहा है। इसके अलावा पूरे जिले में सबसे ज्यादा यदि सिकमी नामे के रजिस्ट्रेशन हुए हैं तो वह वृताकार सेवा सहकारी समिति मझौली और सेवा सहकारी समिति कटंगी में हुए हैं। जिसके चलते यहां सबसे ज्यादा गोलमाल की आशंका जाहिर की जा रही है। इन दोनों समितियां में एक संयोग ऐसा भी है जो संशय खड़ा करता है कि यहां 6 और 7 अक्टूबर को जमकर सिकमीनामे के रजिस्ट्रेशन हुए हैं जिसकी जांच होना आवश्यक है।
यह है जांच अधिकारी
अजीत सिंह ASO भोपाल
अनीता सोरते ASO जबलपुर
मयंक चंदेल JSO भोपाल
पल्लवी जैन JSO जबलपुर
आदित्य जाँघेला तहसीलदार मझौली