अतिशेष प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ीः 3 साल पहले रिटायर हो चुकें शिक्षकों को शामिल किया गया स्कूल शिक्षा विभाग की चूक आई सामने
जबलपुर, यशभारत। प्रदेशभर में बड़ी संख्या में अतिशेष शिक्षक हैं। इन्हें दूसरे स्कूलों में पदस्थ करने के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया बीते दिनों आयोजित की गई , लेकिन इनमें कई विसंगतियां भी सामने आ रही हैं। इस प्रक्रिया में कुछ ऐसे शिक्षकों के नाम भी शामिल किए गए हैं, जिन्होंने तीन वर्ष पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली। साथ ही कई मामले ऐसे भी हैं, जिनमें स्थानांतरण करीब वर्ष भर पहले कर दिया गया, लेकिन उन्हें पुराने स्कूल में ही पदस्थ मानते हुए अतिशेष बताया जा रहा है।वहीं जिन स्कूलों में पद और विद्यार्थियों की संख्या के मान से शिक्षक हैं, उन्हें भी अतिशेष में शामिल कर लिया गया है। कुछ स्कूलों के शिक्षकों को उच्च पद प्रभार दे दिया गया, लेकिन वे भी अतिशेष में शामिल हैं। इस तरह की विसंगतियों के कारण शिक्षक परेशान हो रहे हैं। इस पूरी गड़बड़ी का दोषी स्कूल शिक्षा विभाग और स्थानीय अधिकारियों को माना जा रहा है।
पोर्टल अपडेट नहीं होने के कारण बनी स्थिति
इस प्रक्रिया के तहत सेवानिवृत्त, त्यागपत्र दे चुके या स्कूल में पदस्थापना नहीं होने पर भी ऐसे शिक्षकों के नाम अतिशेष की सूची में आ गए हैं। इससे शिक्षकों में असुरक्षा की भावना घर कर गई है। शिक्षक संगठन कहते हैं कि जैसे-तैसे शिक्षक स्कूलों में शिक्षण कार्य के प्रति रुचि ले रहे थे। इसी बीच अतिशेष की प्रक्रिया आ गई। जिसमें पोर्टल अपडेट न होने के कारण कई विसंगतियां हैं।
नियमों को ताक में रखकर प्रक्रिया पूरी की गई
शिक्षक नेता कहते हैं कि नियमों के विरुद्ध विभाग विकलांग, गंभीर बीमार, स्थानांतरित और उच्च पद का प्रभार प्राप्त शिक्षकों को भी अतिशेष बता रहा है। विभाग को अतिशेष शिक्षकों के समायोजन की इतनी जल्दी है कि पोर्टल अपडेट किए बिना ही अतिशेष शिक्षकों की काउंसिलिंग शुरू कर दी। अतिशेष शिक्षकों को अतिशेष सूची के संदर्भ में दावा आपत्ति का अभ्यावेदन दर्ज कराने का मौका भी नहीं दिया जाना विभाग की हठधर्मिता है।