जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

युवा प्रत्याशियों को भारी न पड़ जाए वरिष्ठों की अनदेखी

!अति आत्मविश्वास के चलते अभी से समझ लिया है विधायक!

जबलपुर यश भारत। राजनीति में शुचिता, नई सोच और नए विचार के लिए चुनावी महासमर में नए चेहरों का प्रवेश अहम माना जाता है। जिसके चलते शहर में भी युवा प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा गया है परंतु इन युवा प्रत्याशियों में अब चुनावी प्रचार में ही आत्मविश्वास अतिआत्मविश्वास में परिवर्तित होता दिख रहा है।
कहते हैं वरिष्ठ कार्यकर्ता पार्टी का वो आधार होता है जो अपनी खून पसीने के श्रम से पूरी पार्टी को खड़ा करता है और अपने अनुभव की सिंचाई से ही युवा कार्यकर्ताओं की पौध तैयार करता है। चुनावी मैनेजमेंट के ये मास्टर रुपी वरिष्ठ कार्यकर्ता किसी भी चुनाव के गणित को पलटने में माहिर हैं परंतु शहर कीउन विधानसभा में जहां कुछ युवा प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं उनके द्वारा इन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने की भी भूल की जा रही है। सूत्र बताते हैं केंट में जहां कांग्रेस के उम्मीदवार अपने ही मुगालते में है और अपनी ढ़पली अपना राग ही बजा रहे हैं वहीं सिहोरा बीजेपी प्रत्याशी समझ ही नही पा रहें हैं कि हम वरिष्ठों की पूंछ परख कैसे करें।यही हाल उत्तर मध्य,बरगी में बीजेपी? का है जहां के युवा प्रत्याशी जोश में तो है पर अपने चुनाव प्रचार में वरिष्ठो को लेकर नहीं चल रहे हैं।

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इलेक्शन मैनेजमेंट बना चुनौती
ग्राउण्ड रिपोर्ट के मुताबिक नए चेहरों में चुनाव लडऩे का जोश है, जनता का समर्थन भी मिल रहा है लेकिन चुनाव लडऩे के अनुभव के अभाव में अनेक नए उम्मीदवारों के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट चुनौती बना हुआ है। जिन नेताओं को उम्मीदवारी की मुख्य दौड़ में नहीं होने के बावजूद अचानक मैदान में उतार दिया गया उन्हें ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। टिकट मिलते ही इन नए उम्मीदवारों को टिकट के लिए दूसरे दावेदार के समर्थन में जुटे कार्यकर्ताओं को मनाने की सबसे बड़ी दिक्क्त है।

वरिष्ठों से संवादहीनता के चलते दिल्ली दूर
वरिष्ठों से संवाद न होने के चलते पार्टी के बड़े आलाकमान नेताओं का पर्याप्त रूप से आशीर्वाद नहीं मिल पा रहा है चुनाव खर्च की नई-नई मदें भी उन्हें हैरान कर रही है। ऐसे में कुछ नए चेहरों को प्रदेश संगठन से अपेक्षित मदद नहीं मिल पा रही। वे प्रदेश कार्यालय और अपने वरिष्ठ नेताओं का फोन कर रहे हैं। औपचारिक तौर पर बातचीत में नए उम्मीदवार सबका सहयोग मिलने की बात कहते हैं लेकिन निजी बातचीत में स्वीकार करते हैं कि चुनौतियां हैं। उनसे पार पा लेंगे और चुनाव लडऩे में अनुभवहीनता उनकी जीत के आड़े नहीं आएगी।

नए उम्मीदवारों को ये प्रमुख चुनौतियां

द्द पुराने पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारियों से संवाद स्थापित करना
द्द चुनाव खर्च के लिए बजट की कमी, नए होने से चंदे में परेशानी
द्द बूथ मैनेजमेंट को लेकर विश्वसनीय कार्यकर्ताओं की कमी
द्द चुनाव आयोग के नियमों के तहत लेखे-जोखे के लिए पेशेवर वरिष्ठों की तलाश
द्द सोशल मीडिया के पेशेवर की सेवाएं
द्द गाडिय़ों का इंतजाम और बड़े नेताओं की सभाएं

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