तो क्या विराट कोहली की ODI कप्तानी पर भी लटकी है तलवार? जानें वजह
अगले महीने 17 अक्टूबर से आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप खेला जाना है और इससे करीब एक महीने पहले टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने अपने एक फैसले से सबको चौंका दिया। विराट ने 16 सितंबर (गुरुवार) को सोशल मीडिया के जरिए घोषणा की कि टी20 वर्ल्ड कप 2021 के बाद वह टी20 इंटरनेशनल फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ देंगे। विराट ने नवंबर 2019 के बाद से एक भी सेंचुरी नहीं ठोकी है और ऐसी बातें होने लगी हैं कि उनकी कप्तानी का असर अब उनकी बल्लेबाजी पर पड़ने लगा है। अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वनडे इंटरनेशनल में भी उन्हें ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है और वह इस फॉर्मेट की कप्तानी भी छोड़ सकते हैं।
कोहली ने कहा है कि वह अन्य दो फॉर्मेट (टेस्ट और वनडे) में कप्तान बने रहेंगे लेकिन कोई भी साफ तौर पर यह नहीं कह सकता कि वह भारत में 2023 में होने वाले वर्ल्ड कप में भारत की 50 ओवर की टीम के कप्तान होंगे। वर्कलोड मैनेजमेंट टी20 कप्तानी छोड़ने के लिए बिल्कुल स्वीकार्य कारण है, लेकिन अगर 2023 तक भारत के शेड्यूल को देखा जाए तो वर्ल्ड कप के अलावा टीम को लगभग 20 द्विपक्षीय टी20 मुकाबले ही खेलने हैं। बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया, ‘विराट को पता है कि अगर टीम यूएई में टी20 वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो उन्हें लिमिटेड ओवरों की कप्तानी से हटाया जा सकता था। जहां तक सीमित ओवरों की कप्तानी का सवाल है तो उसने हटकर अच्छा किया है।’
उन्होंने कहा, ‘उसने अपने ऊपर से थोड़ा दबाव कम किया है, क्योंकि ऐसा लग रहा है कि वह अपनी शर्तों पर यह काम कर रहा था। अगर टी20 में प्रदर्शन में गिरावट आती है तो शायद 50 ओवर में फॉर्मेट में ऐसा नहीं हो।’ बीसीसीआई अगर निकट भविष्य में कोहली से वनडे की कप्तानी भी ले लेता है, तो यह हैरानी भरा नहीं होगा। टी20 वर्ल्ड कप में ट्रॉफी जीतने में नाकाम रहने के बाद कोहली को 50 ओवर में फॉर्मेट में भी सिर्फ बल्लेबाज के रूप में उतरना पड़ सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि ड्रेसिंग रूम में भी उप-कप्तान रोहित शर्मा को ‘लीडर’ माना जाता है, जिन्होंने युवा खिलाड़ियों को साथ लेकर चलना सीख लिया है और वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मुंबई इंडियन्स के साथ साल दर साल ऐसा करते आए हैं।
तो क्या ड्रेसिंग रूम से विराट को नहीं मिला है पूरा सपोर्ट?
कोहली को पिछले कुछ समय से ड्रेसिंग रूप में पूरा सपोर्ट नहीं मिला है। उनको करीब से देखने वालों का मानना है कि उनकी वर्किंग स्टाइल में लचीलापन नहीं है। साउथम्पटन में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में दो स्पिनरों के साथ उतरना हो या 2019 वर्ल्ड कप से पहले चौथे स्थान पर किसी खिलाड़ी को स्थापित नहीं होने देना, उनके अंदर लचीलेपन की कमी देखने को मिलती है। भारत ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में भले ही 2-1 की बढ़त बनाई हो, लेकिन दुनिया के नंबर एक ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को नहीं खिलाने के फैसले पर सवाल उठते हैं।
पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड टेस्ट से पहले उन्हें पूरा समर्थन हासिल था, लेकिन उस मैच में भारत के 36 रन पर सिमटने और फिर कोहली के पैटरनिटी लीव पर जाने से काफी चीजें बदल गईं। किसी ने खुलकर नहीं कहा लेकिन भारत ने जब अपनी बेस्ट टीम के साथ खेल रहे ऑस्ट्रेलिया (2018-19 से अलग) को पिछड़ने के बावजूद हराया तो खिलाड़ी अधिक एकजुट महसूस कर रहे थे। कोहली जब इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए टीम से जुड़े तो उन्हें पता था कि युवा खिलाड़ियों ने अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से अपनी छाप छोड़ी है।