डोरीलाल की चिन्ता:- तेरा राम ही करेंगे बेड़ा पार
गाना बज रहा है तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे। बार बार बज रहा है। डोरीलाल परेशान है। राम बेड़ा पार क्यों करेंगे ? चुनाव में तो वोटर बेड़ा पार करेगा। उस पर भरोसा क्यों नहीं है। उस पर से भरोसा उठ गया है क्या ? अब राम भरोसे है उम्मीदवार। ये गाना कौन गा रहा है ? ये गाना दिल्ली से तो नहीं आया ? दिल्ली से आए नेता कह रहे हैं कि युवाओं हमें वोट दो तो हम तुम्हें फोकट में रामलला के दर्शन करायेंगे। रोजगार तो न दे पायेंगे। बस 22 जनवरी तक रूक जाओ। जरा रामलला बिराजमान हो जाएं। तब तक ऐसा करो कि 17 नवंबर का चुनाव निकलवा दो भैया। इतना भव्य मंदिर बन रहा है। इतने सारे लोक बन गये हैं। लाखों दिए जल गए हैं। और तुम्हें क्या चाहिए। मगर वोटर कुछ बोल नहीं रहा है। पता नहीं उसके दिल में क्या है ? विरोधियों की रैली में भी खूब भीड़ हो रही है। मन डर रहा है।
घबराहट है। राम जी बेड़ा पार करेंगे कि नहीं ? हमने राम जी के लिए इतना कुछ किया है वो तो उनको दिखता होगा कि नहीं। बताओ कौन ने किया भगवान के लिए इतना काम। अब उनको इतना एहसान तो मानना चाहिए। और ये भगवान का रोल भी कुछ ठीक नहीं है। वो विरोधियों को भी आशीर्वाद दे देते हैं। जो भगवान के सामने नतमस्तक हो जाए उसी को आशीर्वाद। पिछले बार तो भगवान की इस उदारता ने कबाड़ा ही कर दिया था। विरोधियों की सरकार ही बना दी थी। वो तो फिर हम समझे और भगवान के बजाए इंसान पर भरोसा किया। उस इंसान ने सही काम किया। मुंहमांगे दाम लिए पर काम किया। ये होता है बात रखना। जो कहा वो किया। गद्दारी भी की तो पूरी ईमानदारी से की।
वैसे हम लोग कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इस बार चांस नहीं लेना है। लोकल से लेकर ग्लोबल तक सभी संत महात्माओं को पार्टी के प्रचार में लगा दिया गया है। अब संत महात्मा भी खुल कर मैदान में उतर गये हैं। अभी आठ वीडियो चलवा दिए हैं जिसमें बड़े बड़े नामी गिरामी संत महात्माओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि बी जे पी को वोट दो। बिलकुल असली रंग में आ चुके हैं। इन्हें कोई संकोच नहीं है। ये कह रहे हैं कि धर्म खतरे में है। धर्म खतरे में कैसे हो सकता है ? दरअसल सत्ता खतरे में है। इनके लिए सत्ता ही धर्म है। वही खतरे में है।
डोरीलाल कहते हैं कि देवता न वोट डालते हैं न किसी को वोट डालने को बोलते हैं। उसे नेता चुनो जो अन्याय अत्याचार के विरूद्ध चट्टान की तरह खड़ा रहे। निडर हो। जो बिकाऊ न हो। सत्य के साथ खड़ा रहे चाहे सत्ता मिले या चली जाए। उस गांधी को याद करो जिसने चौरा चौरी कांड के बाद पूरे जोर से चल रहे आंदोलन को वापस ले लिया था। हर कोई उनके निर्णय के विरूद्ध था। लेकिन वो अपने अहिंसा के सिद्धांत पर अडिग थे।
आम आदमी का उपयोग उसके वोट डालने तक सीमित है। चुनाव लडऩा जीतना बड़े लोगों का खेल है। आम जनता के पास तो चुनाव लडऩे के लिए फार्म भरने तक के पैसे नहीं हैं। पार्टियों को हजारों करोड़ रूपये का चंदा पूंजीपति देते हैं। उससे वो चुनाव लड़ते हैं। जीतते हारते हैं। आम आदमी के हाथ में सिर्फ एक वोट है जो वो चुनाव के दिन डाल आता है। चुनाव के समय ही उसे उसका धर्म जाति क्षेत्र याद दिलाया जाता है। आजकल देश के राजनीतिज्ञों का भरोसा केवल भगवान पर है। काम पर नहीं है।
आम गरीब आदमी लोकतंत्र के लिए वोट डालने वाला एक उपयोगी जीव है। चुनाव से उसके जीवन में वैसे भी कोई फर्क नहीं पड़ता। वो रैली और सभाओं में बसों ट्रकों में ले जाने और भीड़ बढाने के काम आता है। चुनाव आते हैं और चले जाते हैं। वो अपनी मेहनत मजूरी करता रहता है। शिक्षा स्वास्थ्य आवास और रोजगार के नाम पर उससे कोई वोट नहीं मांगता और न उसे मालूम है कि इन मुद्दों का संबंध वोट से है।
आज की समस्या शिक्षा और रोजगार है। स्कूलों कॉलेजों में योग्य शिक्षक नहीं हैं। अंधाधुध फीस वसूली जा रही है। उद्योग धंधे बंद पड़े हैं। कमाई घट गई है। छोटे छोटे दुकानदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। बात इन पर होना चाहिए। युवाओं को काम मिलना चाहिए। जब मेहनत की कमाई से घर चलेगा तभी देश में खुशहाली आएगी।
डोरीलाल ने वोटर की ईमानदारी भी देखी है और बेईमानी भी। रातों रात बाजी पलटते देखी है। वोटरों की थोक बिक्री खरीदी देखी है। डोरीलाल का वोटर से कहना है कि जो आदमी तुम्हारे लिए सहज उपलब्ध हो, जिसने तुम्हारे क्षेत्र के लिए काम किया हो, जिसमें काम करने का जज्बा हो और विनम्रता हो उसे जरूर जिताना वरना काम करने वाला निराश होगा और फिर कभी काम नहीं करेगा। जाति धर्म क्षेत्र सब बाद में पहले आदमी और उसका गुण। और चुनना ऐसी सरकार जिससे तुम्हारी कमाई बढ़े, तुम्हारे खर्च घटें, तुम्हारे बाल बच्चों को अच्छी और सस्ती या मुफ्त शिक्षा मिल सके और पूरे समाज में रोजगार के अवसर बढ़ें। जो भी तुमसे वोट मांगे उससे पूछो वो तुम्हारी ये मांग कैसे पूरी करेगा ?
-डोरीलाल चुनावप्रेमी