जबलपुरमध्य प्रदेश

वन टीटी वन ट्रेन : 800 की आवश्यकता, 500 टीटीई पर यात्रियों का जिम्मा

टिकट निरीक्षकों की कमी से जूझ रहा रेल मंडल

यश भारत पड़ताल- किशोर गौतम

जबलपुर यश भारत/ रेल में सफर के दौरान आरक्षित एवं अन्य कोचों में यात्रियों का टिकट चेक करने का जिम्मा टीटीई का होता है उसके ऊपर यह एक बहुत बड़ी जवाबदारी होती है कि सफर के दौरान यात्रियों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो इसके लिए वह यात्रियों के लगातार संपर्क में रहता है हालांकि कभी-कभी यात्रियों और टीटीई के बीच सीट को लेकर वाद विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जाती है इसके बावजूद भी है अपनी जवाबदारी बखूबी से निभाता है। इस दौरान वह सभी लोगों का टिकट चेक करता है और जिन लोगों के पास टिकट नहीं है उन्हें टिकट मुहैया कराता है या उन पर जुर्माना लगाता है। अगर कोई जुर्माना भी ना दे तो उन्हें पुलिस को फोन करके पुलिस के हवाले करता है/

उल्लेखनीय है कि पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर रेल मंडल में काफी समय से टीटीई जबलपुर से अप डाउन होने वाली यात्री गाड़ियों में एक ही टीटीई चल रहा है इससे टीटीई एवं रेल यात्रियों के बीच विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जाती है वही ट्रेनों में फोकट की यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या भी बढ़ रही है क्योंकि वन ट्रेन वन टीटीई ही अपनी सर्विस दे रहा है रेलवे सूत्रों की माने तो जबलपुर रेल मंडल में 500 टीटीई का स्टाफ है जिनमें से बहुत से टीटी मनमर्जी से अपनी मनपसंद गाड़ियों में ड्यूटी लगवा रहे हैं
यही हाल ट्रेनों का है रेलवे सूत्रों की माने तो एक ट्रेन में चार टीटीई की ड्यूटी अनिवार्य होती है किंतु जबलपुर रेल मंडल में इन तमाम नियमों को ताक पर रखकर जबलपुर से गुजरने वाली अधिकांश ट्रेनों में सिंगल टीटी की ड्यूटी लगाई जा रही है/
एक गाड़ी में होते हैं 16 से 24 कोच
रेलवे सूत्रों की माने तो इन दिनों ट्रेनों में एसी कोच की संख्या काफी बढ़ चुकी है स्लीपर एवं जनरल कोच कम कर दिए गए हैं इससे आरक्षित कोचों में रेल यात्रियों का काफी दबाव बना रहता है जिससे वन टीटीई वन ट्रेन के यात्रियों की टिकट चेक करना काफी मुसीबत बनी हुई है जानकारों के अनुसार एक ट्रेन में 16 से लेकर 24 कोच होते हैं जिसमें तकरीबन 1000 से अधिक यात्री सफर करते हैं/
आराम फरमा रहे यूनियन के पदाधिकारी
जबलपुर से गुजर कर दोनों दिशाओं को जाने वाली ट्रेनों में जिस प्रकार से टिकट निरीक्षकों की कमी सामने आई है उसमें एक कारण यह भी है कि जबलपुर रेल मंडल के कर्मी एवं रेल यूनियन के कुछ लोग आफिस में आराम फरमा रहे रेलवे सूत्रों की माने तो यह सब काम वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है जानकारों की माने तो जो टिकट निरीक्षक अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की आवभगत एवं सेवा में तत्पर रहते हैं उनकी ड्यूटी कार्यालय पर लगाई जा रही है और जो टिकट निरीक्षक कृपा का पात्र नहीं है उसके ऊपर हजार यात्रियों की जिम्मेदारी सौंपी जा रही यह आलम जबलपुर रेल मंडल में लंबे समय से चल रहा है/
आउटसाइड के स्टेशनों में कर रहे आराम
रेलवे सूत्रों के अनुसार पश्चिम मध्य रेल जबलपुर रेल मंडल लगभग 500 टिकट निरीक्षक है जिनमें से अधिकांश को उड़नदस्ता टीम में शामिल किया गया वहीं जबलपुर रेलवे स्टेशन में 300 टीटी का स्टाफ है संबंधित अधिकारियों के अनुसार 800 टीटीई स्टाफ की जरूरत है यह कमी लंबे समय से चली आ रही है स्टाफ की कमी के कारण जबलपुर से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में एक टीटीआई ही चल रहा है/
पूर्व में हो चुकी है टीटी के साथ मारपीट
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व अनेक ट्रेनों मारपीट के मामले सामने आए है हाल ही में मुंबई हावड़ा मेल में यात्रियों द्वारा टिकट निरीक्षक को उनके साथ इस बात पर लेकर मारपीट कर दी थी कि यात्री जनरल की टिकट लेकर स्लीपर क्लास में यात्रा कर रहा था जिस पर टिकट निरीक्षक ने यात्री की रसीद बनाने को लेकर बात की थी इसी बात को लेकर रेल यात्री और टिकट निरीक्षक के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो गई इस घटना की रिपोर्ट टिकट निरीक्षक द्वारा आरोपी के विरुद्ध जीआरपी में दर्ज कराई गई थी/

प्रमुख पद पड़े हैं खाली

पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर रेलवे मंडल मैं लंबे समय से सुपरवाइजर सीटीआई की कुर्सियां खाली पड़ी जिसकी और संबंधितों का ध्यानाकर्षण नहीं है जो पद खाली पड़े हैं उसमें प्रमुख सीटीआई डिटेल. मुख्यालय सीटीआई एवं समन्वय के पद लंबे समय से खाली पड़े हुए आखिर कब तक होगी इन रिक्त पदों पर पदस्थापना …?

क्या कहते हैं अधिकारी…
टीटीई स्टाफ की कमी है जबलपुर रेल मंडल में 500 टिकट निरीक्षक है यहां पर 800 टिकट निरीक्षकों का स्टॉप होना चाहिए 300 का स्टॉप कम है/
सुनील श्रीवास्तव
मंडल वाणिज्य प्रबंधक जबलपुर

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