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पूर्व केबिनेट मंत्री उमंग सिंघार ने भाजपा की खिंचाई: कृषि कानून वापस होना ठीक, माफी मांगे भाजपा सरकार

जबलपुर, यशभारत। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे उमंग सिंघार ने भाजपा की खिंचाई करते हुए कहा कि कृषि कानून वापस लेना ठीक है लेकिन भाजपा सरकार किसानों से और जनता से माफी मांगे। पूर्व केबिनेट मंत्री ने यह बात पूर्व पार्षद मंजुला मिश्रा के निवास्थान पर आयोजित हुई पत्रकारवार्ता में कही।
उन्होंने कहा कि वर्तंमान राजनीति में उपचुनावों के नतीजे आने के बाद से अचानक केंद्र सरकार राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टीं को आदिवासी किसान , दलित और महिला वर्गं की याद आने लगी है । जैसे कि आप सभी जानते हैं भारत के अन्नदाता किसानों के अब तक के सबसे बड़े आंदोलन के दबाव में सत्ता पक्ष के मुखिया और देश के प्रधानमंत्री ने तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है । इस मौके पर पूर्व वित्त मंत्री तरूण भनोत, विधायक विनय सक्सेना, पूर्व पार्षद द्वारका मिश्रा, पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी सहित अन्य कांग्रेस नेता मौजूद थे।

कल तक देशहित वाला कानून था
पूर्व केबिनेट मंत्री उमंग ने पत्रकारवार्ता में कहा कि अब इसमें सवाल यह है कि कल तक जो कानून देश हित बताये जा रहे थे उन्हें वापस क्यों लिया गया । सवाल ये भी है कि इन कानूनों का समर्थन करने वालों को आतंकवादी देशद्रोही और गद्दार तक कहने में भक्तगण नहीं चूके । सवाल यह भी है कि इन आंदोलनों के दौरान हुई किसानों की मृत्यु एक सच्चे लोकतंत्र की विभीषिका है ।

चुनाव को लेकर समझौता कर रही भाजपा सरकार
इसमें हमारा कहना यह है कि प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी ये जवाब दे कि ये कानून देशहित में न होकर केवल अपने कुछ पूंजीपति मित्रों के हित में थे और इसके लिए देश से माफी मांगे या फिर ये समझा जाये कि यदि मोदी सरकार इसे देशहित के कानून मानती थी तो क्या पंजाब और उत्तरप्रदेश के चुनावों को लेकर देशहित से उन्होंने समझौता कर लिया । ये अच्छे से जानते हैं कि तथाकथित बहुमत जो वर्तमान में इनके पास है इसकी दम पर किसी काले कानून को देशहित में साबित नहीं किया जा सकता इसलिए इन्हें किसानों से माफी मांगनी चाहिए ।

मृत किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए
आदिवासी नेता उमंग सिंघार ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि तीसरा इन आंदोलनों के दौरान हुई किसानों की मृत्यु राज्य प्रायोजित हत्या की श्रेणी में आती है । इसको लेकर हमारी मांग है कि इन मृत किसानों को शहीदों का दर्जा दिया जाए और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नोकरी और आजीवन पेंशन दी जाये । जिस तरह से शिवराज सरकार ने मीसाबंदीयों को पेंशन की व्यवस्था की है उसी तजज़् पर नही तो मोदी सरकार के ऊपर लोकतांत्रिक व्यवस्था को मानने वाले किसानों की राज्य प्रायोजित हत्या को लेकर सरकार पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो इन तीन कृषि कानूनों को वापस करवाकर किसानों सम्पूर्ण विपक्ष और खासकर हमारे नेता सोनिया जी राहुल जी प्रियंका जी समेत सभी वो लोग जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास करते हैं उन्हें बधाई और जो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था से खिलवाड़ करते हैं उन्हें ये चेतावनी है कि देश में बहुमत की आड़ में जनविरोधी नीतियों की कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा ।

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