कटनीमध्य प्रदेश
पति का साथ छूटा तो खुद लड़ने लगीं जिंदगी की जंग
कटनी की दो महिलाओं के जज्बे को सलाम, दोनों भेलपुरी का व्यवसाय से कर रहीं जीविकोपार्जन
कटनी, यशभारत
सुनैना और सुनीता की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पति का साथ छूटा तो इन्होंने अपनी मेहनत से रोजगार खड़ा किया और नए सिरे से जुट गईं अपनी जिंदगी को संवारने में। दोनों अब उन महिलाओं के लिए मिसाल बन गई है, जो जिंदगी की जंग में हार मान लेती हैं।
यशभारत ने पिछले 8 सालों से हीरागंज वेंकटेश मंदिर के पास सड़क पर भेलपुरी का ढेला लगा रही है सुनैना गुप्ता से बातचीत की। सुनैना ने रुंधे गले से बताया कि मजबूरी में हमे सड़क पर खड़े हो ये काम करना पर रहा है। 2016 में हार्ट अटेक की बजह से पति नही रहे उनके बाद परिवार में तीन बेटी और एक बेटे की जिम्मेवारी सर पर आ गई ऐसे में जब अपनो ने साथ छोड़ दिया तब कुछ सामाजिक व्यक्तियों ने बच्चों को पढ़ाई में मदद की मेरा हौसला बढ़ाया। लेकिन कब तब कोई किसी की मदद करेगा यही सोच मेने अपन पति का व्यवसाय ही आफ्ना लिया मेरे पति भी यही चाट पानी पूरी का ढेला यही लगाते थे और हम सबका भरण पोषण करते थे छोटे से व्यवसाय से ही हम और हमारा परिवार खुशहाल था फिर एक दिन नियति ने उनको हम से छीन लिया ऐसे में परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई पर मैने तय कर लिया मेरे बच्चे सफर नही करेंगे में उन्हें पढ़ाऊंगी हर हाल में बस यही सोच मेने अपने पति का व्यवसाय चुना और यही भेलपुरी का लगभग 8 सालो से ढेला लगा रही हैं। वे बताती हैं शुरू में कुछ अटपटा लगा पर धीरे धीरे आदत बन गई शह र के कुछ समाजसेवी भाइयो ने मेरा हौसला बढ़ाया मदद भी की अब में आत्म निर्भर हूं। उन्होंने बताया कि मेरी बड़ी बेटी ने ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लिया हैं वो भी हमारा सहयोग करती हैं घर मे शादी विवाह के कार्यक्रमों दुल्हन को सजाने मेहंदी बगैरा का कार्य बखूबी कर रही हैं। दूसरी बेटी का अभी बारहवीं में है तीसरी आठवी ने बेटा 5 पांचवी पढ़ रहा बस बच्चे पढ़ लिख जाएं उनका भविष्य उज्वल हो यही चाहती हूँ। सुनैना खुद भी पढ़ी ग्रेजुएट है।
◆ सुनीता ने भी चुनी नई राह
इसी तरह सुनीता गुप्ता भी जिंदगी के सितम झेलकर आगे बढ़ रही हैं। पति के न रहने के बाद जैसे परिवार की सारी जिम्मेदारी ही उन पर आ गई। आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने भेलपूरी, दही-फुल्की और सेवपुरी का छोटा सा रोजगार शुरू किया। इस महिला के दो बेटे हैं। उन्हें वो पढ़ा लिखाकर अच्छा इंसान बनाना चाहती है। बेटा अभय गुप्ता 10 वी में तथा अश्वनी गुप्ता 8 वी पढ़ाई कर रहे है। सुनीता ने बताया कि उनके पति मिथलेश गुप्ता जो शिवाजी नगर में रहते थे उन्हें 13 साल पहले पैरालिसिस हो गया था। काफी कठिनाइयां इस दौरान आई और बाद में उनका साथ भी छूट ही गया। वे बताती हैं कि उन्हें शासन की योजना के अंतर्गत निराश्रित पेंशन और लाडली बहना योजना का लाभ मिल रहा है, जो उनके परिवार की गाड़ी को हांकने में कुछ सहारा बन जाता है।