जबलपुर यशभारत।
किसानों द्वारा धान की रोपाई करने के लिए इस समय मजदूरों की जटिल समस्या उत्पन्न हो जाती है। किसानों द्वारा नर्सरी तो तैयार कर ली जाती है लेकिन इसकी रोपाई करने के लिए जिले के बाहर से मजदूरों को बुलाना पड़ता है। किसानों को इस जटिल समस्या से निजात दिलाने के लिए कृषि विभाग द्वारा उनको कृषि यंत्र के माध्यम से धान की रोपाई करने की सलाह दी जा रही है जिससे कि समय रहते वह अपने खेतों में धान की रोपाई कर सकें इससे जहां एक और कम लागत लगेगी वही कृषि यंत्रों के कारण समय की भी बचत होगी।
उल्लेखनीय है कि धान की रोपाई नर्सरी रोपाई किये जाने हेतु तैयार है धान की रोपाई हेतु पर्याप्त वर्षा हो जाने के बाद किसानो ने धान रोपाई का कार्य प्रारंभ कर दिया है ।लेकिन ऐसे समय में किसानो के समक्ष धान रोपाई हेतु मजदूरों की व्यवस्था एक बड़ी समस्या है | खेती में मजदूरों की समस्या से निजात पाने के लिए कृषि में यंत्रों का का उपयोग अतिमहत्वपूर्ण हो गया है।आधुनिक कृषि मैं यंत्रों की मांग लगातार बढ़ रही है ।
ट्रांसप्लांसटर का किया गया प्रदर्शन
इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी कृषि पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी की उपस्थिति में ग्राम करारी कृषक भीम पटेल और दिधोरा के कृषक कुशाग्र पलहा के खेत पेडी ट्रांसप्लान्टर का प्रदर्शन किया गया | कृषक ने ट्रांसप्लास्टर से रोपाई हेतु पूर्व में ही धान की पूसा बासमती किस्म की नर्सरी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी के मार्गदर्शन में तैयार कर ली गई थी | डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि पेडी ट्रांसप्लास्टर से रोपाई किये जाने से लागत में कमी आती है , मजदूरों पर निर्भरता कम हो जाती है ।
कीट व्याधियों का प्रकोप कम रहता है
इस संबंध में अनुविभाग अधिकारी इंद्रा त्रिपाठी ने बताया कि कम अवधि 21 दिन की पौधे रोपाई एवं कतार से कतार की दूरी एक सामान रहती है जिससे खेत में खरपतवार नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है जिससे धान में अधिक कंसे निकलते है कीट व्याधियों का प्रकोप कम होता है एवं अधिक उत्पादन प्राप्त होता है ।
रोपाई के लिए नर्सरी की तैयारी कैसे की जाए
अनुविभागी अधिकारी को किसानों ने बताया की मशीन से रोपाई के लिए पहले हमे नर्सरी तैयार करनी पड़ती है I एक एकड़ 10 नर्सरी प्लेट की आवश्यकता होती है I इन प्लेटो को तैयार करने के नर्सरी बेड में पहले पॉलीथीन बिछाते है I उस पर फर्में की सहायता से प्लेट तैयार की जाती है I नर्सरी के लिए भुरभुरी मिट्टी जिसमे एक भी पत्थर, कंकड़ न हो को तो थोड़ी मात्रा में डाला जाता है उसके बाद उसमे बीज अंकुरित बीज डालते है, बीज के ऊपर हल्की मिट्टी डाली जाती है 15 से 20 दिन मैं नर्सरी तैयार हो जाती है।
अनुदान में मिलता है कृषि यंत्र
डॉ. त्रिपाठी ने बताया की धान रोपाई मशीन की लागत 1440000 रुपये है जिसमे 5 लाख रुपये अनुदान देय है जिसके द्वारा रोपाई करने पर प्रति एकड़ खर्च लगभग 3000 रुपये आता है वही परंपरागत विधि से रोपाई में एक एकड़ में 8000 रुपये आता है ।
प्रदर्शन के दौरान डॉ. त्रिपाठी के साथ वरिस्थ कृषि विकास अधिकारी श्रीकांत यादव, विषय वस्तु विषेशज्ञ पंकज श्रीवास्तव, कृषि विस्तार अधिकारी जे पी त्रिपाठी के साथ किसान भाई उपस्थित रहे।
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