हाई कोर्ट ने पीजी मेडिकल सीटों पर 100 फीसद आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाला

जबलपुर,। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीजी मेडिकल सीटों पर 100 फीसद आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल दिया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने यह व्यवस्था देने के साथ निजी मेडिकल कालेजों की एसोसिएशन की याचिका निराकृत कर दी। कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा मूलनिवासियों को वरीयता देने के मुद्दे पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यही न्यायोचित होगा कि पीजी सीटों पर 100 फीसद आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट ही अंतिम रूप से निराकृत करे। ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस संबंध में पहले से याचिकाएं विचाराधीन है।
40 पृष्ठीय दिया आदेश
हाई कोर्ट ने अपने 40 पृष्ठीय आदेश में साफ किया कि इस मामले के सभी बिंदु आपस में जुड़े हुए हैं। लिहाजा, यह नहीं कहा जा सकता कि प्रदेश के मूल निवासियों को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। हालांकि 100 फीसद आरक्षण वैधानिक है या नहीं इसका निर्धारण सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ही कर सकती है। हाई कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में कहा की मूल निवासी होने के आधार पर निश्चित तौर पर राज्य शासन निजी मेडिकल कालेजों में आरक्षण कर सकती है, परन्तु किस हद तक कितने प्रतिशत तक ऐसा आरक्षण होगा, यह सब प्रश्न सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं और वहीं पर अंतिम निर्णय संभव है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यही उचित होगा की सुप्रीम कोर्ट ही सभी बिंदुओं का अंतिम निर्धारण करे, ना कि हाई कोर्ट निर्णय सुनाए। मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों की एसोसिएशन ने याचिका के जरिये राज्य शासन द्वारा निर्धारित प्रवेश नियमों की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। साथ ही नियमों को निरस्त करने पर बल दिया था। अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता द्वारा बहस के दौरान दलील दी गई कि राज्य शासन द्वारा प्रदेश भर में निजी मेडिकल कालेजों की 100 फीसद सीटों को प्रदेश के मूल निवासी छात्रों व उन छात्रों के लिए आरक्षित किया गया है, जिन्होंने मध्य प्रदेश से ही एमबीबीएस किया हो। हाई कोर्ट का आदेश आते ही छह घंटे के अंदर एसोसिएशन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी आनलाइन दायर कर दी गई, जिस पर सुनवाई अगले सप्ताह संभावित है। प्रदेश में अक्टूबर 2021 से 600 से अधिक पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश हेतु काउंसलिंग संभावित है।