हाई कोर्ट के केवल ट्यूशन फीस वसूली के आदेश को मनमानी से लागू किया, निजी स्कूल फीस अधिनियम कागजों में कैद

जबलपुर,। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा कोविड काल में केवल ट्यूशन फीस वसूली के आदेश को मनमानी से लागू किया गया है। आलम यह है कि निजी स्कूल फीस अधिनियम महज कागजों में कैद होकर रह गया है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट का निर्देश था कि केवल ट्यूशन फीस वसूली जाए लेकिन निजी स्कूल इसे मनमाने तरीके से लागू कर रहे हैं। सरकार का निजी स्कूल फीस अधिनियम भी महज कागजों में सीमित होकर रह गया है। इन आरोपों पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने एक अक्टूबर को सरकार को निर्देश दिया कि दो सप्ताह में जवाब पेश किया जाए। उल्लेखनीय है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डा.पीजी नाजपांडे व सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव द्वारा दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने चार नवंबर, 2020 को निर्देश दिया था कि कोरोना काल में केवल ट्यूशन फीस वसूली जाए। इसी के आधार पर इंदौर के जागृत पालक संघ ने याचिका दायर कर शिकायत की थी कि निजी स्कूल सभी मदों के शुल्क को एक करके उसे ट्यूशन फीस बता रहे हैं। इस तरह चालाकी से पूरी फीस वसूल रहे हैं।
नहीं हुई कार्रवाई : जागरुक पालक संघ ने इसकी शिकायत निजी स्कूल फीस अधिनियम के तहत शासन से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाई कोर्ट ने चार अक्टूबर, 2020 को निर्देश जारी किए कि महज 70 फीसद फीस जमा करवाएं व एक सप्ताह के भीतर टीसी जारी करें। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि हाई कोर्ट के टीसी संबंधी आदेश को पूरे प्रदेश में लागू करवाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि निजी स्कूल पूरी फीस वसूलने के बाद ही टीसी जारी करने के रवैये पर अड़े हैं।