हलषष्ठी पर्व :-संतान की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखा व्रत : पूजन कर दीर्घायु व खुशहाली के लिए ईश्वर से की प्रार्थना
सिवनी यश भारत-आज रविवार को हलषष्ठी पर्व जिले में मनाया जा रहा है। जहाँ संतान की लंबी उम्र और सुख शांति के लिए माताओं ने व्रत रखा। जिसको लेकर बाजार में कल महिलाओं की खासी भीड़ देखी गई। महिलाओं ने पूजन के लिए बांस की टोकरियां और दूसरी वस्तुओं की खरीददारी की। और आज विधि विधान से पूजन किया। इस बार बांस से बनी सामग्री के दामों में काफी मंहगाई का असर नजर आया।
बलराम जी का होता है पूजन:-
हिन्दी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल छठ, हल षष्ठी या बलराम जयंती मनाई जाती है। हल षष्ठी के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भ्राता बलराम जी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। बलराम जी का जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पूर्व होता है। हल षष्ठी या बलराम जयंती का ये है मुहूर्त ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भाद्रमास की षष्ठी तिथि 24 अगस्त को दोपहर में 12 बजकर 30 मिनट से आरंभ हो चुकी है। और आज 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर समाप्त हो गई है। इस प्रकार से उदया तिथि की मान्यता के अनुसार हल षष्ठी का व्रत महिलाएं 25 अगस्त को रखेंगी।
हल षष्ठी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बलराम जयंती, हल छठ या हल षष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। यह निर्जला व्रत महिलाएं रखती हैं। हल षष्ठी के दिन व्रत रखते हुए बलराम जी और हल की पूजा की जाती है। गदा के साथ ही हल भी बलराम जी के अस्त्रों में शामिल है। हल पूजा के कारण ही इसे हल घष्ठी या हल छठ कहा जाता है। बलराम जी की कृपा से संतान की आयु दीर्घ होती है और उसका जीवन सुखमय तथा खुशहाल होता है।
बांस की टोकरी व महुआ से होता है पूजन
इस त्यौहार में बांस की टोकरियों और जंगलों में मिलने वाली सामग्री जैसे महुआ, पसई के चावल आदि, भैंस के दूध से पूजन किया जाता है। इसके “चलते शहर की डेयरियों में एक दिन पहले से ही भैस के दूध की बुकिंग कर ली गई। इसके साथ ही दूसरी पूजन सामग्री की भी खरीदी हुई।
शनिवार को हलषष्ठी व्रत के चलते बाजार में महिलाओं की खासी भीड़ नजर आई। इस व्रत में बांस से बनी टोकरियों के साथ पूजन किया जाता है। इसके लिए शहर में जगह-जगह लगी दुकानों में महिलाओं ने खरीदारी की। महिलाओं का कहना है कि इस साल बांस की टोकनियों के दाम काफी अधिक है। एक सौ रुपए से कम में दुकानदार टोकरियां नहीं दे रहे हैं। वहीं टोकरियां बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि वन विभाग के द्वारा अधिक मात्रा में बांस क मिलने के कारण उन्हें बाहर से बांस खरीदना होता है जिसके कारण टोकरियों की लागत मंहगी पड़ती है। जिन कारण दाम पिछले साल के मुकाबले बढ़े हैं।