जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

सुप्रीम कोर्ट की संवैधनिक पीठ में मामला लंबित, अत: हाई कोर्ट को सुनवाई का अधिकार नहीं

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जबलपुर,। हाई कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को छठवें दिन बहस जारी रही। शेष बहस को मंगलवार के दिन गति दी जाएगी। पूर्व में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के विरोध में अधिवक्ताओं की ओर से तर्क प्रस्तुत किए जा चुके हैं। अब 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के समर्थन में बहस हो रही है। इसी कड़ी में ओबीसी आरक्षण 14 से 27 किए जाने के समर्थन में पैरवी करते हुए अधिवक्ता उदय कुमार साहू ने हाई कोर्ट का ध्यान सुप्रीम कोर्ट में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के विरुद्ध सुनवाई लंबित होने की ओर आकृष्ट कराया। इसी आधार पर तर्क दिया कि जब आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो नियमानुसार हाई कोर्ट को इस सिलसिले में सुनवाई का अधिकार नहीं है।

हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ के समक्ष अधिवक्ता उदय कुमार साहू ने बहस को गति देते हुए आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। चूंकि इस मामले में ईडब्ल्यूएस के साथ ओबीसी सहित अन्य आरक्षणों के बिंदु भी अंतर्सबंधित हैं, अत: हाई कोर्ट को अपैक्स कोर्ट यानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक इस सिलसिले में सुनवाई स्थगित कर देनी चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इन प्रकरणों से भिन्ना मुद्दा है। चूंकि इन प्रकरणों की त्वरित सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया है। इसलिए इन प्रकरणों पर हाई कोर्ट नियमित सुनवाई करेगा।

अधिवक्ता साहू ने तर्क दिया कि 103 वें संविधान संशोधन के तहत ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिये चुनौती दी गई है। चूंकि इस मामले में भी आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत से अधिक होने या न होने का संवैधानिक प्रश्न उत्पन्ना हो गया है, अत: मामला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ पहुंच गया है। इसलिए कायदे से इस प्रश्न पर हाई कोर्ट को सुनवाई आगे बढ़ाए का अधिकार नहीं है। राज्य की ओर से ओबीसी का पक्ष रखने नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह कोर्ट में मौजूद रहे।

हाई कोर्ट ने सुनवाई न रोकते हुए सारभूत प्रश्‍नों का निर्धारण किया :

 

ओबीसी मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने विधि के सारभूत प्रश्नों का निर्धारण कर लिया है। आगे की सुनवाई को इन्हीं के दायरे में गति दी जाएगी। राज्य शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल आशीष बर्नार्ड व भरत सिंह ने भी हाई कोर्ट से निवेदन किया की ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों की सुनवाई सुप्रीम के फैसले के बाद किया जाना उचित होगा। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इन प्रकरणों से भिन्ना मुद्दा है। चूंकि इन प्रकरणों की त्वरित सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया है। इसलिए इन प्रकरणों पर हाई कोर्ट नियमित सुनवाई करेगा।

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