सिविल जज एवम एडीजे के अभ्यर्थीयों की उत्तर पुस्तिकाओं को RTE के तहत प्राप्त करने वाला मामला हाईकोर्ट ने रखा सुरक्षित

👉उक्त याचिका में संविधान महत्व के 8 प्रश्नों के उत्तर हेतु सुप्रीम कोर्ट में अपील दखिलं किए जाने हेतु हाईकोर्ट से मांग की है प्रमाणपत्र की ।
👉संविधान की व्याख्या का प्रश्न है मौजूद जिसकी व्याख्या करने का अधिकार है सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ।
जबलपुर । – एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एवम शोसल जस्टिस नामक संस्था द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमे हाईकोर्ट द्वारा की जाने वाली सिविल जज एवम एडीजे की भर्ती को निष्पक्ष एवम पारदर्शी बनाने के लिए संवंधित अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं कों सर्वजनिक कर सूचना के अधिकार के तहत प्रदान किए जाने की राहत चाही गई थी । हाईकोर्ट में मौजूद नियामक अनुसार उत्तर पुस्तिका सिर्फ संवंधित अभ्यर्थी को ही दी जा सकती है किसी तीसरे पक्ष को नही । उक्त याचिका को हाईकोर्ट की डीविजन बैंच ने यह कहते हुए ख़रीज कर दी थी की उत्तर पुस्तिकाएं संवंधित की व्यक्तिगत जानकारी है ! उक्त याचिका खारिज किए जाने से बिधि के अनेक प्रश्न खड़े हो गए है जिनके समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट में डायरेक्ट अपील करने हेतु एक पृथक से याचिका दाखिल की गई है उक्त याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14,19 तथा 133-A के प्रावधानों की व्याख्या सहित हाईकोर्ट के निर्णय की संवैधानिकता का भी प्रश्न है जिसकी विस्तृत व्याख्या करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए हाईकोर्ट से प्रमाणपत्र की मांग की गई है । उक्त याचिका की आज दिनांक 25/11/22 को जस्टिस शील नागू तथा डी. डी. बंशल की खंडपीठ द्वारा वितरित सुनवाई की जाकर याचिका फैसले केबलिए सुरक्षित रख ली है । याचिका कर्ता की ओर से पैरवी रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायकनप्रसाद शाह ने की ।