सिवनी के इस गांव में होती है मेघनाद की पूजा : मन्नत होती है पूरी आदिवासी समुदाय द्वारा लगाया जाता है मेला…. पढ़ें पूरी खबर

सिवनी यश भारत:-सिवनी मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर केवलारी विधानसभा के पांजरा ग्राम में आदिवासी समुदाय के द्वारा होली के दूसरे दिन एक मेले का आयोजन होता है इस मेल में जिले और आसपास के हजारों आदिवासी वर्ग के लोग एकजुट होते हैं और मेघनाथ रूपी 60 फीट से अधिक ऊंचाई वाले स्तंभ की पूजन अर्चना करते हैं,इतना ही नहीं इस पर महिला,पुरुष और बच्चे ऊंचाई पर चढ़कर परिक्रमा भी लगाते हैं।
जयदीप दुबे,हजारीलाल उइके,ज्ञानीलाल मरापे,कमलसिंह परते, के.इस.तेकाम सहित अन्य लोगो ने बताया कि मेघनाथ रूपी इस स्तंभ पर पूजन अर्चना करके जो मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होने पर 60 फीट ऊंचे स्तंभ पर चढ़कर रस्सी के सहारे परिक्रमा लगाई जाती है यह आदिवासी संस्कृति और आस्था का बेहतर उदाहरण है,आदिवासी समुदाय इन्हें अलग-अलग नाम से पूजता है और आराधना करता है।इसमे अलग अलग धर्म के लोग भी आकर पूजन अर्चना करते हैं।
रावण के पुत्र मेघनाद को आदिवासी न केवल अपना आराध्य मानते हैं बल्कि उन्हें पूजते भी है।इलाके के लोगों का दावा है कि यह एशिया का सबसे बड़ा मेघनाद मेला है।
खंभा होता है पूजा का प्रतीक:;
यूँ तो मेघनाद की कोई प्रतिमा नहीं है लेकिन पूजा के प्रतीक के रूप में 60 फीट ऊंचाई वाले खंभों को गाँव के बाहर गाड़ा जाता है वहीं इस खंभे पर चढ़ने के लिए लगभग 30 फीट की खूँटी लगाई जाती हैं। एक तरह से यह मचान तैयार हो जाती है। जिस पर तीन लोगों के बैठने की व्यवस्था की जाती है। आदिवासी इसी खंभे के नीचे पूजा अर्चना करते हैं।
मनोकामना पूरी होने पर उपक्रम:-
मेघनाद मेले में मनोकामना पूरी होने पर ऐसे महिला-पुरुषों को मचान पर ले जाकर पेट के सहारे लिटाकर खम्भे के ऊपरी सिरे में लगी चारों तरफ घूमने वाली लक़ड़ी से बाँधकर घुमाया जाता है।अपनी मन्नतों के आधार पर उसे 60 फीट ऊँचे मंच में घूमना होता है जो मेले का बड़ा आकर्षण होता है।झूलते समय मन्नत वाले व्यक्ति के ऊपर से नारियल फेंका जाता है।