सचिवों की जान से खिलवाड़: गांव में रोक रहे कोरोना, पर नहीं कहलाएंगे कोरोना योद्धा
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने कोरोना योद्धा का आदेश स्थगित किया
जबलपुर यशभारत । कोरोना संक्रमण करने में योगदान दे रहे हैं पंचायत कर्मियों के लिए बुरी खबर है। सरकार ने पंचायत कर्मियों को कोरोना योद्धा मानने से इंकार कर दिया है। जबकि इससे पहले आदेश जारी कर सरकार ने कहा था कि अन्य विभागों की तरह पंचायत कर्मियों को भी कोरोना योद्धा माना जाएगा क्योंकि पंचायत कर्मी गांव-गांव जाकर कोरोना संक्रमण को करने में योगदान दे रहे हैं। लेकिन इसके कुछ दिन बाद आदेश जारी किए गए कि पंचायत कर्मियों को कोरोना योद्धा मानने के जो आदेश जारी किए गए थे वह स्थगित किए जाते हैं। सरकार के दोहरे आदेश को लेकर जबलपुर सहित पूरे प्रदेश भर विरोध शुरू हो गया है। पंचायत कर्मियों का कहना है कि शासन भेदभाव कर रही है पहले आदेश जारी किए गए कोरोना योद्धा पंचायत कर्मी रहेंगे इसके बाद आदेश स्थगित कर यह दर्शा दिया कि पंचायत कर्मी कोरोना योद्धा के लायक नहीं है।
सरकार ने इन्हें माना है कोरोना योद्धा का पात्र
सरकार ने योजना में लाभान्वित होने वाले पात्र कर्मी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, आयुष विभाग के सभी सफाई कर्मचारी, वार्डबॉय, नर्स, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, तकनीशियन, डॉक्टर, विशेषज्ञ और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता होंगे। इसके अलावा नगरीय विकास के सभी सफाई कर्मी, राजस्व, गृह, नगरीय विकास विभाग, शहरी और स्थानीय निकायों सहित अन्य उन विभाग के कर्मी जो कोविड-19 महामारी की रोकथाम में अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिकृत हैं, वे पात्र होंगे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज बीमा योजना के तहत बीमित स्वास्थ्यकर्मी के अतिरिक्त अन्य सभी स्वास्थ्य कर्मी इस योजना के लिये पात्र होंगे। इस योजना का लाभ कोविड-19 के कारण जीवन की हानि, सेवा के दौरान दुर्घटना से आकस्मिक मृत्यु होने पर मिलेगा।
कर्मी का आशय
योजना में कर्मी का आशय राज्य सरकार के विभागों के कर्मचारी या उसके बोर्ड/निगम/प्राधिकरण/एजेंसी/कम्पनियों आदि द्वारा नियुक्त स्थाई, अनुबंधित, दैनिक वेतन, तदर्थ, आउटसोर्स एवं सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदि शामिल हैं।
इन दो आदेशों को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश
प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग उमाकांत उमराव ने 26 अप्रैल को आदेश क्रमांक 8417 जारी करते हुए कलेक्टरों से कहा था कि जनपद-जिला और ग्राम पंचायत रोजगार सहायक सचिव और सचिव को कोरोना योद्धा माना जाए। क्योंकि ये सभी गांव-गांव जाकर सबसे पहले कोरोना संक्रमित और उसके परिवार से मुलाकात करते हैं और उन्हें इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराते हैं। इसके कुछ दिन बाद 1 मई को पन्ना-रीवा कलेक्टर सहित अन्य जिलों के कलेक्टरों ने एक पत्र जारी कर पंचायत कर्मियों तक जानकारी पहुंचाई कि उन्हें कोरोना योद्धा नहीं माना जाएगा जो विभाग ने आदेश जारी किए थे वह निरस्त किए जाते हैं।
सचिवों की पीड़ा सुनने कोई तैयार नहीं, संक्रमित हो रहे सचिव
जिला सचिव संगठन के सचिव राजेश तिवारी और कोषाध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने बताया कि सुविधाएं नहीं मिल रही सचिवों को। मनरेगा सहित तमाम कार्य सचिव करा रहे फिर कोरोना योद्धा नहीं माना जा रहा है। बहुत से सचिव कोरेोना पॉजीटिव हो चुकें हैं। 25 सचिव और 20 रोजगार सहायक सचिवों की मौत पूरे प्रदेश में हो चुकी है। सचिवों का कहना है कि वेतन भी इतना नहीं मिल रहा है वह इलाज करा सकें। सचिवों का आरोप है कि कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं जाता है सिर्फ सचिवों से फोन करके जानकारी लेता है। अधिकारियों को जो नंबर दिए है उसमें फोन करो तो उठते नहीं है। सचिव-रोजगार सहायक सचिवों की पीड़ा कोई नहीं सुन रहा है।