जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

वेलडन नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक:वी.यू. का भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोग हुआ सफल, गौशाला की अवर्णित देशी गाय ने जनी जुड़वाँ साहीवाल बछियां

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जबलपुर ।  डॉ. सीता प्रसाद तिवारी, कुलपति, ना.दे.प.चि.वि.वि., जबलपुर की अभिप्ररेणा मार्गदर्शन एवं कुशल निर्देशन में मध्यप्रदेश में प्रथम प्रयास में भ्रूण प्रत्यारोपण आधुनिकत्तम तकनीक से इस वि.वि. से देशी गाय ने जुड़वां बछियों को जन्म दिया है। निकट भविष्य में गौ-वंश के नस्ल सुधार इसी तकनीक के माध्यम से किया जावेगा, जिससे उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाली गायों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी।
इसी तकनीक का मध्यप्रदेश में प्रथम प्रयोग इस वि.वि. के वैज्ञानिकों ने 9 माह पूर्व, दिनांकः 28 जनवरी 2021 को गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण किया गया था। दिनांक 24 अक्टूबर 2021 ब्याने की संभावित तिथि थी, उसके परिणामस्वरूप जिसमें से आज एक अवर्णित देशी गाय में दो साहीवाल भ्रूणों का प्रत्यारोपित किया गया था। जिसमें गाय ने जुड़वां साहीवाल बछियां को जन्म दिया, शेष 7 गाय आगामी दिनों में ब्याने के लिए तैयार है। तकनीक की सफलता को लेकर माननीय कुलपति जी ने टीम के साथ सतत् रूप से सक्रिय रहे। जिसका यह सुखद परिणाम रहा कि मध्यप्रदेश में पहली बार वि.वि. के वैज्ञानिकों को सफलता हासिल हुई।
इस तकनीक के माध्यम से अब अवर्णित देशी गायों से उच्च कोटि की गुणवत्ता युक्त गायों को जन्म दिया जा सकेगा। पशुपालकों के लिये यह तकनीक अब वरदान सिद्ध होगी। इस कार्य को डॉ. ए.पी. सिंह एवं उनकी टीम (डॉ.नितिन बजाज व डॉ. अभिषेक बिसेन) के साथ कलेक्टर, जबलपुर, डॉ. सुनील कुमार बाजपेयी, उपसंचालक, डॉ. विष्णु गुप्ता, सहा. पशु चिकित्सा शल्यज्ञ एवं सहयोगियों पशुपालन एवं डेयरी विभाग के सहयोग द्वारा अथक कड़ी मेहनत और देखभाल के बीच मूर्तरूप प्रदान किया। उच्चकोटि की सर्वोत्तम साहीवाल नस्ल की गायों के भ्रूणों को प्रत्यारोपित किया गया था।
इस उपलब्धि से सम्पूर्ण नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय प्रबंधन से उत्साहित गौरवान्वित एवं हर्ष के वातावरण है। साथ ही वि.वि. निकट भविष्य में इस ’’भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक’’ पशुपालकों के लिय मील का पत्थर साबित होगी। गायों की दुग्ध उत्पादन क्षमता में उत्तरोतर वृद्धि होगी और उसी से उत्तम नस्ल की गायों का संरक्षण एवं संवर्धन ही पशुपालकों की आय वृद्धि करते हुये सामाजिक-आर्थिक उत्थान् करते हुये, उन्हें आत्मनिर्भर बना सकेगी।

इस अवसर पर माननीय कुलपति  ने वैज्ञानिकों को पशुपालन के क्षेत्र में इस ऐतहासिक उपलब्धि पर शुभकामनायें एवं हार्दिक बधाई ज्ञापित की हैं। साथ ही आपने दिवंगत कुलाधिपति व राज्यपाल महामाहिम स्व. श्री लालजी टंडन जी को स्मरण करते हुये कहा कि उनकी प्ररेणा एवं स्वप्न का साकार करने में सफल हुये हैं।

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