मध्यप्रदेश के इस जिले के किसान के मुरीद हुए पीएम नरेंद्र मोदी… पढ़े पूरी खबर
कौन हैं किसान रामलोटन कुशवाहा, जिनके काम की चर्चा पीएम मोदी ने पूरे देश से की
सतना
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एमपी के किसान का जिक्र किया है। उन्होंने खेत में ही औषधीय पौधों का म्यूजियम बना दिया है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से किसान आते हैं। सतना के किसान रामलोटन कुशवाहा ने म्यूजियम में सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है। इन चीजों को रामलोटन कुशवाहा सुदूर क्षेत्रों से यहां लेकर आए हैं।
पीएम मोदी ने मन की बात में कहा है कि एमपी के एक साथी हैं रामलोटन कुशवाहा, उन्होंने बहुत ही सराहनीय काम किया है। रामलोटन ने खेत में एक देशी म्यूजियम बनाया है। इस म्यूजियम में उन्होंने सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है। इन्हें वो दूर-सुदूर क्षेत्रों से यहां लेकर आए हैं। पीएम ने कहा कि इसके अलावा वो हर साल कई तरह की सब्जियां भी उगाते हैं। रामलोटन की इस बगिया, इस देशी म्यूजियम को लोग देखने भी आते हैं और उससे बहुत कुछ सीखते भी हैं। यह बहुत अच्छा प्रयोग है, जिसे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है।
सीएम ने दी बधाई
वहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी किसान रामलोटन कुशवाहा को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि आपका देशी म्यूजियम का प्रयोग अद्भुत है। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम में इसकी सरहाना की है, जिसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं। सीएम ने कहा कि इस प्रयोग को प्रधानमंत्री ने पूरे देश में पहुंचा दिया है। इससे इसको अलग-अलग क्षेत्रों में दोहराया जाएगा। सीएम ने कहा कि इससे जैव विविधता बढ़ाने का काम भी आपने किया है। इस देश म्यूजियम से लोगों की आय के नए साधन भी खुल सकते हैं और स्थानीय वनस्पतियों से उनके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी।
कौन हैं रामलोटन कुशवाहा
रामलोटन कुशवाहा सतना जिले के उचेहरा विकासखंड के अतरबेदिया गांव के रहने वाले हैं। एक एकड़ जमीन में उन्होंने कई तरह की औषधीय पौधे लगाए हैं, जो लुप्त होने के कगार पर हैं। रामलोटन मामूली रूप से सिर्फ साक्षर हैं, उन्होंने ज्यादा पढ़ाई-लिखाई नहीं की है। इसके बावजूद रामलोटन पौधों की संरक्षण में लगे हुए हैं।
गांव के वैद्य ने दी थी सलाह
कुछ साल पहले गांव के एक वैद्य ने रामलोटन कुशवाहा को औषधीय पौधों की खेती करने की सलाह दी थी, जिसके बाद रामलोटन कुशवाहा न केवल औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं। विलुप्त हो रहे पौधों को वह दूर-दूर से जाकर लाते हैं। अब लोग जरूरत के हिसाब से इनके पास पौधों की मांग करने आते हैं।