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मध्यप्रदेश की लाड़ली श्रेया ने भरी ऊँची उड़ान, ना सुन सकती है ना बोल पाती फिर भी यूपीएससी में आई 60वी रैंक

सतना, यशभारत। कहते है कड़ी मेहनत और पक्का इरादा दूर कर देती है हर बाधा जी हाँ मध्य प्रदेश के सतना जिले की दिव्यांग श्रेया की कड़ी मेहनत और पक्के इरादे ने उसे लाचार नहीं होने दिया मूक बधिर जैसी जन्मजात बाधा श्रेया की कमजोरी नही बल्कि सफलता का सर्वोच्च श्रेय साबित हुई। कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से श्रेया ने महज 25 वर्ष की उम्र में यू पी एस सी में न केवल 60 वी रेंक हासिल की बल्कि अखिल भारती स्तर पर श्रेया को हेयरिंग कैटेगरी में इंडिया में टॉप करने का श्रेय मिला।

श्रेया ने सामान्य बच्चों की तरह हिंदी मीडियम से सतना के निजी विद्यालय से नर्सरी से हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पूरी की। श्रेया के लिए मुश्किल भरा समय तब शुरू हुआ जब वह इलेक्ट्रिकल से बी ई करने इंदौर गयी एक मूक बधिर बेटी के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई किसी पहाड़ से कम न थी लेकिन श्रेया ने हार नही मानी और कड़ी मेहनत लगन से पढ़ाई पूरी की। इलेक्ट्रिकल से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद 2019 में श्रेया ने यूपीएससी के लिए पहला मौका लिया इसके बाद दूसरा प्रयास 2020 में किया और 16 घण्टे की कड़ी मेहनत रंग लाई 12 अप्रैल को सफलता का परिणाम उसके हाँथो में था। इसके पहले श्रेया का चयन कोल इंडिया, नियुक्लियर पवार कॉपोर्रेशन, और पावर ग्रिड में भी हो चुका था लेकिन श्रेया की मंजिल यू पी एस सी थी।

मां शिक्षिका, पिता व्यावसायिक
श्रेया की माँ एक शिक्षिका है और पिता व्यावसायिक है। श्रेया ने जिस हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई पूरी की उसी स्कूल में श्रेया की मां आज प्रिंसिपल है। श्रेया की माँ अंशु राय कहती है दिव्यांग बच्चों को कभी बेचारा न समझे पहले वो भी एक गृहणी थी लेकिन जब वो अपनी दिव्यांग बेटी को स्कूल छोड़ने आती थी तो उन्हें बेटी की चिंता सताती थी इस लिए वो स्कूल की छुट्टी होने तक वही बैठी रहती थी,और एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल ने उनकी योग्यता का परिचय लेकर उन्हें स्कूल में शिक्षिका के पद पर नियुक्त कर दिया और इस तरह एक दिव्यांग बेटी के चलते एक मां शिक्षिका बन गयी। जो उसके लिए वरदान साबित हुई उसी श्रेया माता पिता बेहद खुश हैं। श्रेया की मेहनत के आगे उसका दिव्यांग होना कहीं आड़े नही आया श्रेया ने इंडियन इंजीनिरिंग सर्विसेस में हेयरिंग कैटेगरी में टॉप किया।

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