मजदूर दिवस पर यशभारत विशेषः मनरेगा में मजदूरों से भेदभाव, एससी-एसटी को पहले प्राथमिकता, जनरल-ओबीसी को बाद में पेमेंट

नीरज उपाध्याय जबलपुर, यशभारत।
मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या, अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाए, अम्बर में जितने तारे, उतने वर्षों से, मेरे पुरखों ने धरती का रूप संवारा। कवि रामधारी सिंह दिनकर की इस अमर रचना की ये पक्तियां बता रही हैं कि धरती पर हमारे हर सुख के आधार में मजदूर है। कहने में मजदूर बहुत छोटा शब्द है… लेकिन सबसे मजबूत है। विडंबना है कि ये उतना ही मजबूर भी है। इन्हीं मजदूरों के साथ अब भेदभाव किया जा रहा है। बात हो रही केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की। इस योजना में मजदूरों के बीच भेदभाव किया जा रहा है। जनरल-ओबीसी मजदूरों को सबसे बाद में मजदूरी दी जा रही है जबकि एससी-एसटी मजदूरों को पहले मजदूरी मिल रही है। जानकर हैरानी होगी कि शासन ने इस संबंध में किसी भी तरह के आदेश जारी नहीं किए बाबजूद मनरेगा के मस्टररोल जो बन रहे हैं उसमें पहले एससी-एसटी वाले मजदूरों का भुगतान हो रहा है।

पंचायत से लेकर जिले तक के अधिकारी हैरान
मनरेगा मजदूरों के बीच भुगतान को लेकर जो खाई पैदा की गई है उसको लेकर ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत के अधिकारी हैरान है। सभी इस बात को लेकर असमंजस में है कि इस नई व्यवस्था के कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं सिर्फ मौखिक रूप से कहकर मजदूरों के अंदर भेदभाव पैदा किया जा रहा है।
काम तो एक बराबर कर रहे फिर मजदूरी बाद में क्यों!
जनरल-ओबीसी वर्ग के मनरेगा मजदूरों का कहना है कि एक ही मस्टर रोल में सभी वर्ग के मजदूर दर्ज है सभी एक सा काम कर रहे हैं लेकिन एससी-एसटी वालों को पहले भुगतान और हमें बाद में क्यों!। इसको लेकर मजदूरों ने कई बार अधिकारियों से सवाल-जवाब किया लेकिन हर बार शासन के निर्देशों का हवाला देकर अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं।
आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं मजदूर
मनरेगा में मजदूरी के भुगतान में श्रमिकों को एसटी एससी एवं सामान्य की श्रेणियों में बांटने पर लोगों में विरोधाभास हो रहा है। अलग-अलग श्रेणी के एफटीओ बनने के बाद जिले में लंबे समय से मजदूरों का भुगतान पेंडिंग है।
मजदूर वर्ग में भेदभाव रखना गलत
मजदूरों का कहना है कि श्रमिक भुगतान में अलग-अलग श्रेणी बनाकर एफटीओ में भुगतान करने व मजदूर वर्ग में भेदभाव रखना गलत हंै। ओबीसी व सामान्य वर्ग साथ भेदभाव करना गलत है। ऐसे में गांवों में स्थितियां विकट हो जाएगी। पहले वाली व्यवस्था को पुनः लागू करना ही होगा।