जबलपुरमध्य प्रदेश

भाजपा MLA ने फोड़ा लैटर बम:मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय से पिछले 4 साल की अंकसूचियां और इसके रिकॉर्ड गायब; हालात सुधारने CM करें हस्तक्षेप

जबलपुर। मध्यप्रदेश में 10 साल पहले स्थापित मेडिकल विश्वविद्यालय को लेकर जबलपुर के बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने लैटर बम फोड़ा है। सीएम को संबोधित इस पुराने पत्र में दावा किया है, विवि से पिछले 4 साल की अंकसूचियां और इसके रिकॉर्ड गायब हैं। विधायक ने हालात सुधारने के लिए CM हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है। कुलपति टीएन दुबे के इस्तीफे को देर आए दुरुस्त आए की मिसाल दी है।

विधायक विश्नोई ने सीएम को ये पत्र 14 मार्च 2021 को सौaपा था। कुलपति डॉक्टर टीएन दुबे के इस्तीफे के बाद इस पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल किया है। पत्र में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। विधायक के मुताबिक वर्ष 2011 में प्रदेश में मेडिकल विश्वविद्यालय की स्थापना जबलपुर में इस तरह की गई थी, वह अपना आर्थिक पोषण स्वयं कर सके। विवि के पास करोड़ों रुपए जमा है। 4 साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग भोपाल ने 80 करोड़ रुपए विभिन्न शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयाें को नियम विरुद्ध दे दिए। एक बार फिर इस राशि से और पैसे निकालने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि स्वयं के अधूरे भवन निर्माण के लिए विवि को अपनी ही राशि निकालने की शासन से अनुमति नहीं मिल पा रही।

 

4 साल की डिग्री 5 साल में तो 5.5 साल की डिग्री 7 साल में

मेडिकल विवि में न तो परीक्षाएं समय पर हो रही हैं और न परिणाम आ रहे हैं। विवि की डिग्री भी एक वर्ष के विलंब से मिल रही है। आयुष के छात्र अगले वर्ष की परीक्षा में पिछले वर्ष की परीक्षा परिणाम जाने बिना बैठ रहे हैं। नर्सिंग की परीक्षाएं और परिणाम की देरी का आलम ये है, 04 साल की डिग्री 05 साल में और 5.5 साल की डिग्री 07 साल में हो पा रही है। विवि आज तक अंकसूची और डिग्री ऑनलाइन आवेदन पर नहीं उपलब्ध करा पाया। प्रदेश के दूरस्थ स्थानों से छात्र विवि आता है। भ्रष्टाचार का शिकार होता है।

मेडिकल विवि में एक चौथाई पद ही भरे।
मेडिकल विवि में एक चौथाई पद ही भरे।

विवि में 275 पदों में 75 भरे, वो भी आउटसोर्स से

विधायक विश्नोई ने पत्र में दावा किया, सभी परेशानियों की वजह विवि में सक्षम अधिकारी व स्टाफ का अभाव है। विवि में कुल स्वीकृत 275 पदों में से महज 75 पद ही भरे गए हैं। इसमें भी अधिकतर आउटसोर्स से भरे हैं। विवि की स्थापना के बाद से आज तक रेक्टर का पद नहीं भरा गया है। अलग-अलग संकायों के हेड/विभागाध्यक्ष नहीं बनाए गए हैं। विवि का कोर्ट स्थापित नहीं हुआ है। इस कोर्ट में 4 विधायकों का स्थान भी सुरक्षित रहता है। रजिस्ट्रार के पद पर पिछले 7 वर्षों से अनुभवी प्रोफेसर या समकक्ष प्रशासनिक क्षमता वाले व्यक्ति की पदस्थापना नहीं हो पाई।

दागी को दे दिया रजिस्ट्रार का प्रभार

विश्नोई ने आरोप लगाए हैं, रजिस्ट्रार का प्रभार दागी आयुष डॉक्टर जेके गुप्ता को दिया गया है। डॉक्टर गुप्ता के खिलाफ आयुष विभाग में जांच पूरी होकर कार्रवाई के लिए लंबित है, जिसे कांग्रेस शासन काल में दबा दिया गया था। दावा किया है, इस पद पर कार्य कर रहे डिप्टी रजिस्ट्रार सुनील खरे को विवि से कार्यमुक्त कर दिया गया है। खरे एक कुशल प्रशासक थे। पिछले 7 वर्षों से उनके कंधे पर ही विवि का भार था।

दागी महिला को गोपनीय विभाग का प्रभार दे दिया

विधायक विश्नोई ने सीएम को लिखे पत्र में डॉक्टर तृप्ति गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मेडिकल विवि में गोपनीय विभाग का प्रभार संभाल रही डॉक्टर तृप्ति गुप्ता मूलत: मेडिकल कॉलेज जबलपुर की बायोकेमिस्ट्री विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। डॉक्टर तृप्ति गुप्ता पूर्व में भी आयुर्विज्ञान विवि का प्रभार संभाल चुकी हैं। उनके खिलाफ कई शिकायतें थीं। उन्होंने नियम विरूद्ध जाकर छात्रों का रिवेल्युवेशन कराया था। उनके नंबर बढ़वा कर पास कराया था।

इस शिकायत पर उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दी गई थी। बावजूद डॉक्टर तृप्ति गुप्ता को फिर से विवि में गोपनीय विभाग का कार्य सौंप दिया गया। गोपनीय विभाग में अनाधिकृत रूप से डॉक्टर तृप्ति गुप्ता के पति, जो स्वंय मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, अक्सर बैठे रहते हैं। गोपनीय दस्तावेजों का अवलोकन करते रहते हैं।

ये पत्र सीएम को लिखा था-

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