बरगी सुरंग में आई नई रफ्तार: सतना-मैहर के किसानों को जल्द मिलेगा नर्मदा जल, सांसद ने फिर से कराया कार्य आरंभ

सतना।बरगी परियोजना, जो वर्षों से सतना और मैहर के किसानों के लिए एक अधूरा सपना बनी हुई थी, अब नए उत्साह और रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है। सोमवार को इस ऐतिहासिक परियोजना को नई दिशा मिली जब सतना सांसद गणेश सिंह ने स्लीमनाबाद स्थित बरगी सुरंग स्थल पर पहुंचकर 110 फीट गहराई में उतरते हुए खुद निर्माण कार्य की स्थिति का निरीक्षण किया और विधिवत पूजा-अर्चना कर टनल निर्माण कार्य की पुनः शुरुआत कराई।

*नई शुरुआत, नई उम्मीदें*
सांसद सिंह ने मशीन को स्वयं चालू कर निर्माण को फिर से गति दी, जिससे वर्षों से ठप पड़े कार्य में जान आ गई है। इस मौके पर उन्होंने स्पष्ट किया कि अब कोई रुकावट इस परियोजना को बाधित नहीं करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की घोषणा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि “दिसंबर 2025 से पहले सतना और मैहर के खेतों में नर्मदा जल पहुंचेगा और किसानों का सपना साकार होगा।”
*टनल निर्माण में दूर हुई तकनीकी बाधा*
सूत्रों के अनुसार, सुरंग निर्माण में उपयोग हो रही दो मशीनों में से एक मशीन पिछले 10 महीनों से खराब थी। अब उसे पूरी तरह ठीक कर नया कटर लगाया गया है। यही मशीन अब कार्य में नई रफ्तार लाने के लिए तैयार है।
*अब नहीं होगी देरी’ – सांसद का दृढ़ संकल्प*
सांसद गणेश सिंह ने मौके पर मौजूद अधिकारियों और इंजीनियरों को बधाई देते हुए कहा कि “अब कार्य में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। यह हम सभी की प्राथमिकता है कि दिन-रात मेहनत करके इसे समय पर पूरा किया जाए। जिस दिन यह टनल पूरी होगी, उस दिन सतना, मैहर और रीवा के किसानों का भाग्य बदलेगा।”
*मुख्यमंत्री को जाएगी प्रगति रिपोर्ट*
उन्होंने बताया कि वे इस निर्माण की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजेंगे ताकि शासन स्तर पर भी निगरानी बनी रहे और कार्य तय समयसीमा में पूर्ण हो।
*बरगी सुरंग का फेक्ट फाइल:*
कुल लंबाई: 11,953 मीटर
अब तक निर्माण: 10,823 मीटर
शेष कार्य: 1,150 मीटर
दैनिक निर्माण लक्ष्य: 150 मीटर
*नहरों में जल आपूर्ति की डेडलाइन: दिसंबर 2025*
नर्मदा जल अब पास, खेतों में फिर आएगी हरियाली
सांसद और मुख्यमंत्री के सक्रिय प्रयासों से अब यह परियोजना अपने अंतिम चरण में है। बरगी सुरंग का निर्माण पूरा होते ही सतना, मैहर और आसपास के लाखों किसानों को नर्मदा जल की सौगात मिलेगी। उम्मीद है कि जल्द ही यह धरती हरी-भरी होकर किसानों की मुस्कान लौटाएगी।