– नर्सिंग फ़र्ज़ीवाडा – नर्सिंग काउंसिल दफ़्तर से ग़ायब सीसीटीवी फ़ुटेज हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर भोपाल सहित सायबर सेल को सौंपी जाँच

15 दिन के अंदर, बंद लिफाफे में सौंपनी होगी रिपोर्ट
जबलपुर यश भारत। नर्सिंग मामले में लंबी चली सीबीआई जांच के बाद जहां एक ओर 500 से ज़्यादा कॉलेजों में ताला लग गया है वही अब नर्सिंग काउंसिल में गड़बड़ी सामने आई है , हालाँकि कोर्ट ने मामला भोपाल पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को सौंप कर रिपोर्ट माँगी है। दरअसल, नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में गुरुवार को लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने म.प्र. नर्सिंग काउंसिल दफ़्तर के 13 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2024 तक की अवधि के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित कर बंद लिफ़ाफ़े में पेश करने के निर्देश जारी किए गए थे ।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट में दस्तावेज पेश कर बताया गया कि काउंसिल से 11 से 16 दिसंबर के सीसीटीवी फ़ुटेज ग़ायब हैं , जिसके बाद याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने जब 12 दिसंबर को तत्कालीन रजिस्ट्रार को हटाने के आदेश दिये थे उसके बाद उनके द्वारा अपने कार्यकाल में की गई अनियमितताओं से संबंधित फ़ाइलें 14 दिसंबर को ग़ायब की गई हैं और सहयोगियों के साथ मिलकर सीसीटीवी फ़ुटेज भी डिलीट किए गए हैं ।
हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने मामले की सुनवाई के बाद पूरा मामला पुलिस कमिश्नर भोपाल और साइबर सेल को सौंपते हुए आदेश दिया है कि उक्त अवधि के काउंसिल कार्यालय के सीसीटीवी फ़ुटेज पुनः रिट्रीव करने के हर संभव प्रयास किए जाएँ और यदि आवश्यक लगे तो काउंसिल ऑफिस के आसपास लगे कैमरों की रिकार्डिंग देखकर पता लगाया जाये कि दफ़्तर से क्या-क्या बाहर ले ज़ाया गया है । हाईकोर्ट ने साइबर सेल को तत्कालीन रजिस्ट्रार के मोबाइल फोन के टावर लोकेशन के बारे में भी जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिये हैं ताकि 13 से 19 दिसंबर, 2024 की अवधि के दौरान परिषद के कार्यालय में उनकी भौतिक उपलब्धता का पता चल सके ।
सीबीआई जाँच में जिन कॉलेजों में नहीं थे छात्र, उनके भी कर दिये एनरोलमेंट – याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर तत्कालीन रजिस्ट्रार अनीता चाँद पर यह भी आरोप लगाया है कि उनके द्वारा ग्वालियर के अनेकों ऐसे नर्सिंग कॉलेजों के सत्र 2022-23 के छात्रों के नामांकन अवैध रूप से जारी किए गए हैं जिन कॉलेजों की सीबीआई जांच रिपोर्ट में सत्र 2022-23 में एक भी छात्र प्रवेश लेना नहीं पाये गये हैं, लेकिन उसके बाब्जूद तत्कालीन रजिस्ट्रार द्वारा कॉलेजों से मिलीभगत कर सीबीआइ रिपोर्ट को दरकिनार कर बैकडेट पर फर्जी तरीके से प्रवेशित दर्शाए गए छात्रों के इनरोलमेंट के लिए पोर्टल खोला गया, आरोपों की गंभीरता के चलते हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को एनरोलमेंट संबंधी फाइलें हाई कोर्ट में पेश करने के निर्देश भी दिए हैं ।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता स्वयं तथा अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने उपस्थित रहे वही शासन और काउंसिल की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता भारत सिंह और अप महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थित ने पैरवी की।