नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति: हाईकोर्ट का आदेश, क्लीनिकल शुल्क जमा करना अनिवार्य
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया—क्लीनिकल शुल्क जमा किए बिना परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं; संबंधित अधिकारियों को शुल्क वसूली सुनिश्चित करने के निर्देश।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को तभी परीक्षा में भाग लेने और आगे की पढ़ाई की अनुमति दी जाएगी, जब संबंधित कॉलेज निर्धारित क्लीनिकल प्रशिक्षण शुल्क जमा करेंगे।
खंडवा निवासी हर्ष भान तिवारी द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि खरगोन और बड़वानी जिलों के आठ निजी नर्सिंग कॉलेजों ने क्लीनिकल प्रशिक्षण शुल्क अब तक जमा नहीं किया है। याचिका में यह भी कहा गया कि कॉलेज संचालन के लिए निर्धारित शुल्क जमा करना आवश्यक है।
हाईकोर्ट की युगलपीठ, जिसमें जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल शामिल थे, ने याचिका का निराकरण करते हुए आदेश दिया कि प्रमुख सचिव, आयुक्त लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, और मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल सुनिश्चित करें कि संबंधित कॉलेज निर्धारित दर के अनुसार आवश्यक क्लीनिकल शुल्क जमा करें।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक निर्धारित शुल्क जमा नहीं किया जाता, तब तक इन कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा में भाग लेने और आगे की पढ़ाई की अनुमति नहीं दी जाएगी।