रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मप्र के गोदामों में दो साल से रखे एक करोड़ टन गेहूं की भी किस्मत खुल गई है। इसमें से 40 से 45 लाख टन गेहूं तुरंत निर्यात होगा। निर्यात मात्रा 70 लाख टन तक जा सकती है। यह पहला मौका है जब राज्य सरकार के गोदामों में भरे गेहूं का उठाव का मौका आया है।
दरअसल, युद्ध के कारण यूरोपीय देशों में गेहूं नहीं पहुंच पा रहा है। इसलिए भारतीय राज्यों में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। मप्र को खास फायदा इस तरह भी हो रहा है, क्योंकि गोदामों में दो साल से भरा पड़ा गेहूं सरकार के लिए बड़ी समस्या बन रहा था। इस गेहूं की खरीद का सरकार पर 31 मार्च 2022 की स्थिति में 50 हजार करोड़ रुपए का कर्जा हो गया है।
जिसका हर रोज का 13 से 14 करोड़ रु. ब्याज बैंकों में भरना पड़ रहा है। हालांकि गेहूं निर्यात से स्थिति सुधरेगी। सरकार का कर्ज 50 हजार करोड़ से घटकर 35 हजार करोड़ रु. तक आ सकता है और ब्याज भी रोजाना 7 करोड़ रु. तक घट जाएगा। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को नईदिल्ली में वाणिज्य उद्योग एवं खाद्य मामलों के मंत्री पीयूष गोयल से चर्चा की।