कटनीजबलपुरमध्य प्रदेश

दिल्ली की सरकार चुनने लाडली बहना की रुचि नही !

4 लाख 33 हजार महिलाओं ने नही डाले वोट, 6 माह पहले एमपी में किया था कमाल

कटनी ( आशीष सोनी )। दिल्ली की सरकार से क्या एमपी और खासकर खजुराहो संसदीय क्षेत्र की लाडली बहना को सीधा वास्ता नही ? भोपाल की जो सरकार उसके खातों में सीधे 1250 रुपये भेज रही है, क्या उससे ही महिलाओं को सरोकार है। इसीलिए लोकसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में 4 लाख 37 हजार से ज्यादा महिलाएं वोट डालने घरों से निकली ही नही। विधायक चुनकर उन्होंने भाजपा सरकार का कर्ज 6 माह पहले उतार दिया, अब उन्हें न तो मोदी गारंटी से कोई लेना-देना है और ना ही लाडली बहना योजना से कोई सरोकार। खजुराहो संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र और राज्य की सरकार आधी आबादी के जीवन स्तर को संवारने के लिए कल्याणकारी योजनाओं के चाहे जितने दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। सवाल यह है कि योजनाओं से लाभान्वित होने वाली महिलाओं के जो आंकड़े सरकार जारी करती है वे सब कागजी हैं। क्या महिलाएं योजनाओं के लाभ से संतुष्ट नही और इसीलिए चुनाव में उनकी कोई रुचि नही थी।

यशभारत टीम ने जो आंकड़े जुटाए उसके मुताबिक 26 अप्रैल को हुए मतदान में 9 लाख 49 हजार 788 महिलाओं में से खजुराहो के सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में कुल 4 लाख 37 हजार 175 महिला मतदाताओं ने वोट डाले ही नही। मतदान करने वाली महिलाओं की संख्या 5 लाख 12 हजार 613 है। जाहिर है बुंदेलखंड के इस इलाके में महिलाओं की बड़ी तादात ऐसी है जिन्हें या तो उम्मीदवार रास नही आए, या फिर दल और उनकी योजनाएं। करीब 6 माह पहले नवम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों के आंकड़े चौकाने वाले थे। अमूमन हर विधानसभा क्षेत्र में बड़ी तादात में महिलाएं निकलकर मतदान केंद्र पहुंची और चुनाव का पूरा समीकरण ही पलट दिया। राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि कांग्रेस की बेहतर संभावनाओं के बावजूद एमपी में अगर भाजपा सरकार की पांचवी बार वापसी हुई तो इसके पीछे लाडली बहना का ही कमाल था। केवल कटनी जिले की बात की जाए तो हर विधानसभा क्षेत्रे लाडली बहना योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या कहीं 60 तो कहीं 70 हजार के आसपास है। विधानसभा चुनाव से पहले इनके खातों में आई 1000 और 1250 की कुल 5 किश्तों ने उस दौर में सरकार के खिलाफ व्याप्त एंटीइनकम्बेंसी को एक झटके में गायब कर सत्ता में काबिज होने के कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया था। 163 सीटें जीतने के बाद लोगों ने इसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक कहा, पर क्या बीजेपी का यही दांव लोकसभा चुनाव में चल नही पाया। लाडली बहना को राज्य की सरकार चुनने में तो रुचि थी लेकिन दिल्ली की सरकार से उसको कोई सरोकार नही।

● कहां कितना कम हुआ महिलाओं का प्रतिशत

आंकड़ों के मुताबिक खजुराहो संसदीय क्षेत्र के मुड़वारा में कुल 1 लाख 22 हजार 578 महिला मतदाताओं में से 52.26 फीसद यानी 64 हजार 55 महिलाएं ही घरों से निकली। बहोरीबंद में 1, 20, 337 महिलाओं में से 55.18 प्रतिशत यानी 66, 406 महिलाओं ने ही वोट डालने में रुचि दिखलाई जबकि विजयराघवगढ़ में महिला मतदाताओ की कुल संख्या इस चुनाव में 1 लाख 15 हजार 696 थी। इसमें से महज 54.88 प्रतिशत यानी 63 हजार 494 महिलाओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। संसदीय क्षेत्र के पन्ना में 118697 महिलाओं में से 67090 महिलाएं मतदान केंद्रों तक जा पाई तो गुनौर में यह आंकड़ा 55.43 फीसद पर आकर रुक गया। इस विधानसभा क्षेत्र में 110581 महिला वोटर्स में 61294 ने लोकतंत्र के महायज्ञ में आहुति दी। पवई की बात करें तो यहां महिला वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा थी। कुल 134682 में से 77637 महिलाएं ही पोलिंग बूथों तक जा सकी, शेष ने वोटिंग से तौबा की। राजनगर में 117850 महिलाओं में से 61718 और चंदला में 109367 महिलाओं में से 50916 ने ही क्षेत्र का सांसद चुनने के प्रति रुचि ली।

◆ उदासीनता भी एक वजह

महिला वोटर्स का रुझान अगर इस चुनाव में मतदान को लेकर नही था तो इसके कई कारण सामने आते हैं। जानकारों की नजर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा चेहरा रिपीट किया जाना और गठबंधन का कोई प्रत्याशी न होना भी मतदाताओं की अरुचि की वजह बना। चुनाव की कैम्पेनिंग भी वन साइड रही। एकतरफा चुनाव प्रचार के चलते महिलाएं भी वोटिंग के प्रति आकर्षित नही हुई। इसके अलावा वोटिंग के दौरान राजनीतिक दलों की महिला कार्यकर्ता घरों से महिला वोटर्स को निकालकर पोलिंग बूथों तक ले जाने में मशक्कत करती थी लेकिन इस चुनाव में ऐसा कुछ नजर ही नही आया। ज्यादातर यही बातें सुनी गई कि वोट के लिए कहने या ले जाने कोई कार्यकर्ता आया ही नही। सवाल यह भी है कि क्या लोकसभा चुनाव आते आते लाडली बहना योजना का असर खत्म हो गया, या कम मतदान के बावजूद महिलाओं के जो वोट भाजपा के खाते में जा रहे हैं वे लाडली बहना के होंगे। बहरहाल इस सवाल के जवाब के लिए 4 जून का इंतज़ार कीजिये।

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Yash Bharat

Editor With मीडिया के क्षेत्र में करीब 5 साल का अनुभव प्राप्त है। Yash Bharat न्यूज पेपर से करियर की शुरुआत की, जहां 1 साल कंटेंट राइटिंग और पेज डिजाइनिंग पर काम किया। यहां बिजनेस, ऑटो, नेशनल और इंटरटेनमेंट की खबरों पर काम कर रहे हैं।

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