जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

जबलपुर हाईकोर्ट ने पुलिस एडीजी से कहा सुप्रीम कोर्ट के सिद्वांतों का पालन कर 30 दिनों में नौकरी के आदेश जारी करें

एडीजी चयन एवं बालाघाट पुलिस अधीक्षक द्वारा किशोरावस्था में किए गए अपराध को आधार मानकर नौकरी से किया था वंचित

जबलपुर।
छिंदवाड़ा निवासी अमित वर्मा द्वारा अनुप्रमाणन फार्म के कॉलम नंबर 12 में अपनी आवश्यकता की अवस्था में किए गए अपराध का उल्लेख किया गया याचिकाकर्ता द्वारा उक्त कालम में यह भी उल्लेख किया गया कि अपराध स्वीकार करने के आधार पर किशोर न्यायालय द्वारा 800 के अर्थदंड से दंडित किया गया है! उक्त जानकारी के आधार पर एडीजीपी चयन भोपाल द्वारा पुलिस अधीक्षक बालाघाट को निर्देशित किया गया तत संबंध में पुलिस अधीक्षक बालाघाट द्वारा याचिकाकर्ता को किशोरावस्था में किए गए अपराध को आधार मानकर पुलिस की नौकरी हेतु अयोग्य करार कर दिया गया ! उक्त आदेश की संवैधानिकता को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से याचिका दायर कर चुनौती दी गई ! याचिका की प्रारंभिक सुनवाई हाईकोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा की गई अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा कोर्ट को बताया गया कि, बच्चों के संरक्षण हेतु विधायिका द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (3 ), 21(ड्ड),45, 47, 39(द्ग) एवं 39(द्घ ) में विशेष उपबंध किए गए है तथा विधायिका द्वारा जूविनाइल जस्टिस केयर एवं प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन एक्ट 2015 की धारा 3 में स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि वयस्कता अर्थात 18 वर्ष की आयु के पूर्व किसी भी प्रकार के अपराध यह जाने पर वयस्कता प्राप्त करने पर यह माना जाएगा कि, उसने पूर्व में कोई अपराध नहीं किया है और ना ही कहीं पर अवयस्कता की आयु में किए गए अपराध का उल्लेख किया जाएगा! ठीक इसी संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा “यूनियन आफ इंडिया बनाम रमेश बिश्नोई” के प्रकरण मे, मार्गदर्शी सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं, कि वयस्कता में किए गए अपराध के आधार पर अभ्यार्थी को शासकीय सेवा के अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता है! अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा उक्त याचिका को निराकृत करते हुए एडीजी (चयन) तथा पुलिस अधीक्षक बालाघाट को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए मार्गदर्शी सिद्धांतों के तहत याचिकाकर्ता के प्रकरण का परीक्षण करके 30 दिवस के अंदर समुचित आदेश प्रसारित किया जाए! याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं अंजनी कुमार ने की !

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button